कार्बन उत्सर्जन में देशों की भूमिका वर्गीकृत हो
फ्रांसीसी राजदूत फैंकोइस रिचर ने कहा, पेरिस में सम्मेलन में ऊर्जा पर बातचीत सबसे अहम होगी क्योंकि इसी से सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन होता है।
नई दिल्ली। फ्रांस के राजदूत ने कहा कि इस साल के आखिर में पेरिस में होने वाले पर्यावरण परिवर्तन सम्मेलन में वैश्विक तापमान को कम करने के लिए सभी देशों को वैश्विक समझौते का खाका तैयार करना होगा। हालांकि कार्बन उत्सर्जन में अलग भूमिका पर अलग श्रेणी बनाना जरूरी।
फ्रांसीसी राजदूत फैंकोइस रिचर ने गुरुवार को एसोचैम की ओर से आयोजित एक सेमिनार में कहा कि पेरिस में सम्मेलन में ऊर्जा पर बातचीत सबसे अहम होगी क्योंकि इसी से सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन होता है। बिजली उत्पादन से तापमान या कार्बन उत्सर्जन में 70 फीसद का बढ़ावा होता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से भारत सरकार ने परिवर्तनीय ऊर्जा को विकल्प के लिए चुना है। ऐसा ही उपाय सभी देशों को करने चाहिए क्योंकि यही समस्या सबकी है।
उन्होंने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए हरेक को उनके अलग हालात के बावजूद एक समझौते पर राजी किया जाए। हालांकि समझौते में उनकी स्थिति का फर्क भी स्पष्ट हो। उन्होंने कहा कि यूरोप में कार्बन उत्सर्जन अन्य विकसित देशों के मुकाबले काफी कम है।
इसका कारण है कि परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में वह काफी सीमित योगदान देते हैं। इसलिए उन्हें समझौते के दौरान अन्य विकसित देशों के वर्ग में नहीं रखा जा सकता। इसी तरह भारत भी उच्च कार्बन उत्सर्जन करता है लेकिन प्रति व्यक्ति उत्सर्जन काफी कम है।