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पर्यावरण क्षतिपूर्ति उपकर के संग्रहण में धांधली की आशंका

पर्यावरण-संरक्षण नियंत्रण प्राधिकरण को उम्मीद के अनुरूप नहीं मिल रहा उपकर, आरएफआइडी तकनीक के समय पर शुरू होने में संदेह

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 29 Mar 2018 11:10 AM (IST)Updated: Thu, 29 Mar 2018 11:10 AM (IST)
पर्यावरण क्षतिपूर्ति उपकर के संग्रहण में धांधली की आशंका
पर्यावरण क्षतिपूर्ति उपकर के संग्रहण में धांधली की आशंका

नई दिल्ली (राज्य ब्यूरो)। दिल्ली से गुजर रहे ट्रकों से लिए जाने वाले पर्यावरण क्षतिपूर्ति उपकर के संग्रहण में पर्यावरण- संरक्षण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने धांधली की आशंका जताई है। ईपीसीए का कहना है कि जितना उपकर आना चाहिए, उतना आ नहीं आ रहा। ऐसे में आरएफआइडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) तकनीक के समय पर शुरू होने में भी संदेह है।

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सुप्रीम कोर्ट में भेजी गई रिपोर्ट में ईपीसीए ने कहा है कि दिल्ली होकर गुजरने वाले ट्रकों से प्रति सप्ताह 15 करोड़ रुपये के आसपास पर्यावरण क्षतिपूर्ति उपकर आना चाहिए, लेकिन रिकार्ड में यह महज आठ करोड़ के आसपास आ रहा है। इस कारण अभी तक एकत्रित उपकर में करीब आठ सौ करोड़ रुपये की कमी सामने आ रही है। इस सूरत में ट्रकों की समस्या पर नियंत्रण पाने के लिए जो आरएफआइडी तकनीक शुरू करने की योजना पर काम चल रहा है, उसे क्रियान्वित करने में काफी समय लग जाएगा।

बता दें कि ईपीसीए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित संस्था है। ईपीसीए ने अपनी रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट को यह भी कहा कि पर्यावरण क्षतिपूर्ति उपकर का संग्रहण बंद कर देना चाहिए। वजह, इसके संग्रहण में धांधली होने से बेहतर है कि इसे बंद ही कर दिया जाए। वैसे भी जिस मंशा के साथ यह उपकर लगाया गया था, वह पूरी नहीं हो रही है। ईपीसीए ने यह भी कहा कि तीन से चार माह में ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरीफेरल रोड शुरू हो जाएंगी। उस सूरत में ज्यादातर ट्रक दिल्ली में आए बिना ही, बाहर से बाहर निकल जाएंगे और दिल्ली की हवा प्रदूषित होने से बच जाएगी।

डीजल ट्रकों को रोकना इसलिए है जरूरी

सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरनमेंट (सीएसई) द्वारा तैयार रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली की सड़कों को घेर रहे वाहनों में 50.11 फीसद हिस्सा ट्रकों का है। ये ट्रक सड़कों पर न सिर्फ वाहनों का दबाव बढ़ाते हैं बल्कि जाम का कारण भी बनते हैं। इनमें भी ओवरलोड ट्रक कहीं ज्यादा धुआं छोड़ते हैं और आबोहवा को प्रदूषित करते हैं। प्रदूषक तत्व 2.5 में भी 30 फीसद पार्टिकुलेट मैटर ट्रकों का ही होता है।

सेहत के लिए हानिकारक

ट्रकों के धुएं में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक जहरीली गैसों के साथ-साथ ब्लैक कार्बन भी होता है। कार्बन डाइऑक्साइड से 10 गुणा ज्यादा खतरनाक ब्लैक कार्बन फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, श्वास रोग सहित पाचन से जुड़े रोगों का भी जनक है।

कहने को नियम अभी भी

कहने को ओवरलोड ट्रक अभी भी प्रतिबंधित हैं, लेकिन एक तो ज्यादातर ट्रक फिलहाल अपना वजन निजी धर्म कांटों पर कराते हैं और उसमें भी हेराफेरी करवा लेते हैं। दूसरी तरफ परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस भी कुछ ले-देकर ओवरलोड ट्रकों के चालान नहीं काटती है।

आरएफआइडी पर चल रहा काम

10 वर्ष पुराने और डीजल चालित ट्रकों का दिल्ली में प्रवेश रोकने के लिए टोल गेटों पर आरएफआइडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) तकनीक का प्रयोग शुरू करने की दिशा में काम चल रहा है। इसके तहत ट्रकों को सेंसर युक्त स्मार्ट लेबल जारी किया जाएगा, जो ट्रक की विंड स्क्रीन पर लगाया जाएगा।

टोल गेट पर पहुंचते ही वहां लगे सेंसर युक्त स्मार्ट रीडर (इंटेरोगेटर) पर एंटीना संकेतों के जरिये उस ट्रक का सारा डाटा सामने आ जाएगा। अगर ट्रक 2006 के बाद पंजीकृत होगा तो फाटक खुल जाएगा और अगर 2006 से पहले पंजीकृत हुआ तो ट्रक आगे नहीं जा पाएगा।

वायु प्रदूषण कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि ऐसे ट्रक दिल्ली में ना घुसने पाएं। लेकिन, सिस्टम की लापरवाही हर नियम कायदे पर भारी पड़ रही है इसीलिए हमने सुप्रीम कोर्ट से पर्यावरण क्षतिपूर्ति उपकर बंद करने की सिफारिश की है। इसमें इतने अधिक लीकेज हैं कि इसे बंद करना ही बेहतर रहेगा। कुछ माह की बात है, ईस्टर्न- वेस्टर्न पेरीफेरल रोड शुरू हो जाएंगी। ट्रकों की समस्या भी हल हो जाएगी।

-डॉ. भूरेलाल, चेयरमेन, ईपीसीए 


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