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कोरोना वायरस से सारे अंतरिक्ष मिशन जमीन पर, भविष्य की खोज पर बड़ा सवाल

Coronavirus द अटलांटिक के अनुसार यह जानना जरूरी है कि कोरोना के प्रसार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में भी पूरे मानव समाज को किस कदर पछाड़ दिया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 03 Apr 2020 09:01 AM (IST)Updated: Fri, 03 Apr 2020 10:29 AM (IST)
कोरोना वायरस से सारे अंतरिक्ष मिशन जमीन पर, भविष्य की खोज पर बड़ा सवाल
कोरोना वायरस से सारे अंतरिक्ष मिशन जमीन पर, भविष्य की खोज पर बड़ा सवाल

नई दिल्ली, जेएनएन। Coronavirus: कोरोना वायरस के प्रसार के कारण दुनिया के अनेक हिस्सों में चल रहे लॉकडाउन की स्थिति ने कई देशों के अंतरिक्ष मिशन भी जमीन पर ला दिए हैं। भविष्य की कई परियोजनाएं ठिठक गई हैं। कई के काम रुक गए हैं या रोक दिए गए हैं। चिंता कम्युनिकेशन, नेविगेशन तथा मौसम की सूचनाएं देने से जुड़े सैटेलाइटों को लेकर भी है। क्योंकि इन्हीं सैटेलाइटों के कारण आज हम एक आधुनिक समाज की कल्पना करते हैं। द अटलांटिक के अनुसार यह जानना जरूरी है कि कोरोना के प्रसार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में भी पूरे मानव समाज को किस कदर पछाड़ दिया है।

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मानव सभ्यता को आकार देने वाले मिशन : पिछले महीने अमेरिका में जब तक कोरोना का बड़े पैमाने पर प्रसार नहीं हुआ था, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने जूपिटर और नेपच्यून के इर्दगिर्द चंद्र मिशनों समेत कई अन्य मिशनों के लिए फंड देने की घोषणा की थी। द अटलांटिक के अनुसार ये सारे मिशन मानव सभ्यता के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले हैं। इसलिए एजेंसी ने रिसर्च टीमों को इन महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के कंसेप्ट डिजाइन तैयार करने के लिए नवंबर तक का समय भी दे दिया था। लेकिन अब ऐसा होना संभव नहीं लगता है।

कई अंतरिक्ष कार्यक्रम स्थगित : दुनिया भर में स्पेस इंडस्ट्री से जुड़े कई प्रतिष्ठानों, एजेंसियों ने अपने कार्मिकों को घर से काम करने को कहा है। दक्षिणी अमेरिका में स्थित एक यूरोपीय स्पेसपोर्ट ने आगामी सभी लांच स्थगित कर दिए हैं। नासा ने अपने एक बड़े स्पेस टेलीस्कोप की टेस्टिंग रोक दी है, जिसे अगले साल लांच किए जाने की योजना बनी थी। द अटलांटिक के अनुसार इसी तरह रूसी और यूरोपीय स्पेस एजेंसियों की एक संयुक्त परियोजना में देरी होगी, जिसके तहत मंगल पर जीवन की खोज के लिए एक रोवर भेजा है। इस तरह से कोविड-19 ने न सिर्फ इन परियोजनाओं को पलीता लगाया है बल्कि मानव जगत को इस ग्रह तक सीमित कर दिया है।

भविष्य की खोज पर सवाल : अब बड़ा सवाल तो भविष्य की खोज की संभावनाओं को लेकर है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी के महानिदेशक जान वोरनर कहते हैं कि अब उनकी प्राथमिकता धरती के करीब के उन सैटेलाइटों की है, जो कम्युनिकेशन, नेविगेशन और मौसम की भविष्यवाणी से जुड़े हैं, क्योंकि ये मानवता की सेवा में लगे हैं, जो मंगल पर रोवर भेजने से ज्यादा अहम है। हालांकि वह मानते हैं कि इन परियोजनाओं का टाला जाना निराशाजनक होगा लेकिन यह कोई बड़ी तबाही नहीं है। सैटेलाइट इंफ्रास्ट्रक्चर में व्यवधान का असर हमारी आधुनिक सभ्यता पर बहुत ही गंभीर हो सकता है। ये आशंका इसलिए उत्पन्न हुई है कि कुछ ही कार्मिकों को मिशन कंट्रोल में आने की इजाजत है। एजेंसी ने हाल ही में गहरे अंतरिक्ष में चार खोजों को बंद किया है। इनमें से दो मंगल की कक्षा के करीब हैं जबकि एक तो पिछले महीने ही लांच हुआ है।

नासा की फंडिंग पर सवाल : इन हालातों में नासा की फंडिंग को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। डेमोक्रेट्स इस बात को लेकर सशंकित हैं कि अभी की हालात में इन परियोजनाओं के लिए फंड के बारे में जनता को कैसे संतुष्ट किया जा सकेगा, जो कोरोना के कारण भारी मुसीबत झेल रहे हैं। हालांकि नासा के एडमिनिस्ट्रेटर इसके बारे में कुछ अलग तरीके से सोचते हैं। उनका कहना है कि नासा का अंतरिक्ष अन्वेषण अमेरिकी अर्थव्यवस्था का वाहक है। इसके जरिए हजारों रोजगार पैदा होते हैं तथा व्यापार घाटा कम करने में भी मदद मिलती है और बड़ी संख्या में अमेरिकियों को इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने को प्रेरित करता है।


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