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धान खरीद से पहले जमीन के रिकार्ड जांचेगी सरकार, ताकि किसानों की जगह व्यापारी न उठा ले जाएं MSP का फायदा

धान की खरीद से पहले जमीन का रिकार्ड जांचने का फैसला। किसानों की जगह व्यापारी न उठा ले जाएं एमएसपी का लाभ इसलिए केंद्र ने उठाया कदम। असम उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के अलावा सभी राज्य लैंड रिकार्ड साझा करने को तैयार।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 07:54 AM (IST)Updated: Tue, 14 Sep 2021 07:54 AM (IST)
धान खरीद से पहले जमीन के रिकार्ड जांचेगी सरकार, ताकि किसानों की जगह व्यापारी न उठा ले जाएं MSP का फायदा
धान की खरीद से पहले जमीन की रिकार्ड जांच।(फोटो: दैनिक जागरण)

नई दिल्ली, प्रेट्र। पहली बार केंद्र सरकार ने धान की खरीद से पहले जमीन का रिकार्ड जांचने का फैसला किया है। इसका उद्देश्य यह है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ व्यापारियों को नहीं, बल्कि सीधे किसानों को मिले। यह जानकारी खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने सोमवार को दी। उन्होंने कहा कि असम, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर को छोड़कर अधिकांश खरीद वाले राज्य इसके लिए तैयार हैं। उन्होंने इस मकसद से केंद्र की शीर्ष खरीद एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के साथ डिजिटल भूमि का रिकार्ड साझा किया गया है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह नया तंत्र किसानों के हित में है और किसानों द्वारा अपनी या किराए की जमीन में की जाने वाली खेती की उपज सरकार द्वारा खरीदी जाएगी।

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पांडेय ने कहा कि किसानों के लिए जमीन का मालिक होना जरूरी नहीं है। अगर किसानों ने किसी भी जमीन पर खेती की है, तो उसे खरीद लिया जाएगा।' उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था को शुरू करने के पीछे एकमात्र सोच यह है कि आखिर कितने क्षेत्र में किस फसल की खेती हो रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए जमीन के डिजिटल रिकार्ड को एफसीआइ के साथ जोड़ा गया है जो खरीद प्रक्रिया के दौरान मदद करेगा। इस प्रक्रिया को अपनाने का उद्देश्य यह है कि सरकार वास्तविक किसानों से ही फसल खरीदे व्यापारियों से नहीं। सचिव के मुताबिक, 'पंजाब समेत ज्यादातर राज्य पूरी तरह से तैयार हैं। सभी राज्य चाहते हैं कि खरीद प्रक्रिया से किसान लाभान्वित हों न कि व्यापारी।' यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि एमएसपी का लाभ सिर्फ किसानों तक पहुंचे।

उन्होंने कहा कि मार्केटिंग ईयर 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में रिकॉर्ड 879.01 लाख टन धान 1 लाख 65 हजार 956.90 करोड़ रुपए के एमएसपी मूल्य पर खरीद की गई, जबकि मार्केटिंग ईयर 2020-21 (अप्रैल-मार्च) में रिकॉर्ड 389.93 लाख टन गेहूं की 75 हजार 60 करोड़ रुपए के एमएसपी मूल्य पर की गई है। उन्होंने कहा कि ये प्रयास पिछले पांच वर्ष में केवल किसानों के हित में किए जा रहे हैं और सरकार चाहती है कि एमएसपी का लाभ वास्तविक किसानों तक पहुंचे।


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