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मुस्‍कराए किसानों के चेहरे, जाते-जाते रबी सीजन को हरियाली दे गया मानसून, जानें क्‍या पड़ा असर

लौटते मानसून की अच्छी बारिश से चालू रबी की खेती को हरियाली मिलती दिख रही है। विभिन्न राज्यों के असंचित क्षेत्रों में रबी सीजन की दलहनी व तिलहनी फसलों की बोआई शुरू हो गई है। मिट्टी में पर्याप्त नमी का फायदा उठाकर किसान इन फसलों की बोआई करने लगे हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 08:01 PM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 08:09 PM (IST)
मुस्‍कराए किसानों के चेहरे, जाते-जाते रबी सीजन को हरियाली दे गया मानसून, जानें क्‍या पड़ा असर
मुस्‍कराए किसानों के चेहरे, जाते-जाते रबी सीजन को हरियाली दे गया मानसून।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। लौटते मानसून की अच्छी बारिश से चालू रबी सीजन की खेती को हरियाली मिलती दिख रही है। विभिन्न राज्यों के असंचित क्षेत्रों में रबी सीजन की दलहनी व तिलहनी फसलों की बोआई शुरू हो गई है। मिट्टी में पर्याप्त नमी का फायदा उठाकर किसान इन फसलों की बोआई करने लगे हैं। मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के कई क्षेत्रों में जल्द ही गेहूं की बोआई भी शुरू हो सकती है। मानसून सीजन की अच्छी व समान वितरण वाली बारिश के चलते ही इस बार खरीफ सीजन में बंपर पैदावार का अनुमान है। रबी सीजन पर भी इसका असर पड़ेगा।

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कृषि विज्ञानियों का कहना है कि चालू रबी सीजन में समय से बोआई होने की उम्मीद है। इससे विभिन्न फसलों की उत्पादकता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। खरीफ सीजन में जहां 15.10 करोड़ टन खाद्यान्न की पैदावार का अनुमान लगाया गया है, जबकि रबी सीजन में इस बार 15.58 करोड़ टन खाद्यान्न पैदावार हो सकती है। मानसून इस बार अपने निर्धारित समय से एक पखवाड़ा यानी 15 दिन देर से लौटा है। हरियाणा के करनाल स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट आफ व्हीट एंड बार्ले रिसर्च के निदेशक डा. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि मानसून की अच्छी बारिश से खेतों में पर्याप्त नमी के साथ मौसम में भी आ‌र्द्रता है।

इसका सीधा असर रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं पर पड़ेगा। गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में दलहन व तिलहनी फसलों की बोआई हो रही है, जहां पूरे सीजन अच्छी बारिश हुई है। इस बार चना के मुकाबले गेहूं की बोआई बढ़ने की उम्मीद है। इसकी खास वजह मौसम है। चना के मुकाबले गेहूं की खेती जोखिम मुक्त है। गेहूं के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र पंजाब व हरियाणा में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से गेहूं की बोआई चालू हो जाएगी, जहां धान पहले ही कट चुका है। पराली से खेत को खाली करने और गेहूं के लिए तैयार करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। पूर्वी राज्यों में भी इस बार मानसून जमकर बरसा है। लेकिन यहां धान की फसल आमतौर पर देर में कटती है, जिसके बाद गेहूं की बोआई नवंबर के आखिरी सप्ताह से चालू होने की संभावना है।

रबी सीजन की तैयारी बैठक में सभी राज्यों को उनकी जरूरत के मुताबिक बीज, खाद, कीटनाशक, मशीनरी, बैंकों से मिलने वाला कर्ज, बिजली की आपूर्ति और सिंचाई के बारे में आश्वस्त किया गया था। बोआई से पहले फर्टिलाइजर की आपूर्ति कर दी गई है। इसमें यूरिया 1.81 करोड़ टन, डीएपी 58.71 लाख टन, एमओपी 16.86 लाख टन, एनपीके 60.86 लाख टन और एसएसपी 30.12 लाख टन शामिल हैं। इसके अलावा जैविक खाद के उपयोग पर ज्यादा जोर दिया गया है। विज्ञानियों का अनुमान है कि इनके उपयोग से 25 प्रतिशत तक केमिकल फर्टिलाइजर का उपयोग घट सकता है।


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