Move to Jagran APP

मलेशिया में भूमिपुत्रों की हार और भारतीयों पर वार ये थी नजीब की पॉलिसी

मलेशिया में मुख्यत: तीन नस्ल के लोग हैं। सबसे ज्यादा जनसंख्या स्थानीय मलय निवासियों की है। उन्हें मलेशिया में ‘भूमिपुत्र’ भी कहा जाता है

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 24 May 2018 12:20 PM (IST)Updated: Thu, 24 May 2018 12:20 PM (IST)
मलेशिया में भूमिपुत्रों की हार और भारतीयों पर वार ये थी नजीब की पॉलिसी
मलेशिया में भूमिपुत्रों की हार और भारतीयों पर वार ये थी नजीब की पॉलिसी

[गौरीशंकर राजहंस]। चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. महातिर मोहम्मद ने अभूतपूर्व विजय हासिल की। 92 वर्षीय डॉ. महातिर मोहम्मद जनता के आह्वान पर रिटायरमेंट से निकलकर आम चुनाव में कूद पड़े जहां उनकी पार्टी की भारी विजय हुई। पिछले कई वर्षों से पश्चिम के सभी समाचारपत्रों में लगातार ये खबरें आ रही थीं कि मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रजाक भयानक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और आम जनता उनके भ्रष्टाचार और घोटालों से तंग आ गई है। नजीब रजाक को राजनीति में डॉ. महातिर ही लाए थे। ये दोनों मलेशिया के प्रमुख राजनीतिक दल ‘यूनाइटेड मलय नेशनल ऑर्गनाइजेशन’ जिसे संक्षेप में ‘यूएमएनओ’ कहते हैं, के सदस्य रहे। डॉ. महातिर ने कई बार नजीब को यह चेतावनी दी कि उनके भ्रष्ट आचरण के कारण जनता में असंतोष पनप रहा

loksabha election banner

है, परंतु नजीब ने डॉ. महातिर की चेतावनी को अनसुना कर दिया।

मलेशिया में मूलत: तीन नस्ल के लोग हैं। सबसे अधिक जनसंख्या स्थानीय मलय निवासियों की है। उन्हें मलेशिया में ‘भूमिपुत्र’ भी कहा जाता है। मलेशिया की कुल जनसंख्या तीन करोड़ है जिसमें प्राय: 69 प्रतिशत आबादी मलय मूल के ‘भूमिपुत्रों’ की है। 24 प्रतिशत चीनी मूल के निवासी हैं और सात प्रतिशत भारतीय मूल के लोग हैं।

अपने को मजबूती से सत्ता में बनाए रखने के लिए नजीब ने स्थानीय मलय निवासियों को अनेक सुविधाएं दीं। कुछ सुविधाएं 1971 से चली आ रही थीं। सरकारी ठेकों में ‘भूमिपुत्रों’ को तरजीह दी गई और उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से यह भरोसा दिलाया गया कि वे जितना चाहें सरकारी ठेकों से लाभ कमा सकते हैं। उसी तरह शिक्षा के क्षेत्र में स्कूल और कॉलेजों में, जिन्हें सरकार से मान्यता प्राप्त है और जो सरकारी खर्च पर चलते हैं, उनमें ‘भूमिपुत्रों’ को तरजीह दी गई।

चीनी मूल के और भारतीय मूल के लोगों को नजीब की सरकार ने हर तरह से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि देश में अशांति और अराजकता फैल गई। मलेशिया में अल्पसंख्यकों को तंग करने के लिए गिरजाघरों को ढहाया गया और हिंदू मंदिर नहीं बनने दिए गए। कुछ हिंदू मंदिर जो पहले से बने हुए हैं उन्हें भी नजीब सरकार के अफसरों ने किसी न किसी बहाने ढहा दिया।

जब मलेशिया में चीनी और भारतीय मूल के अल्पसंख्यकों को तंग किया जा रहा था तब पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. महातिर ने नजीब को चेताया कि सरकार को धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए और अल्पसंख्यकों को तंग नहीं करना चाहिए, परंतु नजीब के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।

पिछले कुछ वर्षों में नजीब सरकार पर भ्रष्टाचार के अनेक संगीन आरोप लगे। अमेरिका के एक प्रसिद्ध समाचारपत्र ने हाल में यह रहस्योद्घाटन किया कि गत आम चुनाव के पहले नजीब ने भ्रष्ट तरीके से गुपचुप अपने बैंक खाते में 700 मिलियन डॉलर जमा कर लिए हैं। जब नजीब से इस बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा कि अरब देश के एक प्रसिद्ध राजकुमार ने ‘दान’ में यह रकम उन्हें दी है।

इसके जवाब में डॉ. महातिर ने कहा कि वे लंबे अरसे तक देश के प्रधानमंत्री रहे, परंतु किसी ने उन्हें एक डॉलर का भी दान नहीं दिया। इसलिए नजीब का यह बहाना गले के नीचे नहीं उतर रहा है। यह साफ-साफ भ्रष्टाचार है। उस समाचार पत्र ने यह भी रहस्योद्घाटन किया था कि देश के एक प्रमुख ‘सरकारी विकास बैंक’ से 4.5 बिलियन डॉलर धीरे-धीरे गायब हो गए हैं। नजीब इसका भी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके।

जब देश में अराजकता बहुत बढ़ गई तब आम जनता ने 92 वर्षीय डॉ. महातिर से कहा कि वे नई पार्टी बनाएं और आम चुनाव में नजीब का मुकाबला करें। जनता के आग्रह पर अधिक उम्र होने के बावजूद डॉ. महातिर ने नई पार्टी बनाई और आम चुनाव में नजीब की पार्टी को धूल चटा दी। चुनाव के बाद डॉ. महातिर फिर से देश के प्रधानमंत्री बन गए हैं। चुनाव के दौरान ही उन्होंने घोषणा की थी कि यदि वे सत्ता में आए तो नजीब के भ्रष्टाचार और घोटालों को उजागर करेंगे और उन्हें उचित दंड दिलाएंगे।

डॉ. महातिर ने चीनी मूल के लोगों को खुश करने के लिए उनके प्रतिनिधि को देश का वित्त मंत्री बना दिया। पिछले 44 वर्षों में किसी चीनी मूल के संसद सदस्य को इतना महत्वपूर्ण मंत्रालय नहीं दिया गया था। साथ ही डॉ. महातिर ने नजीब के उन दुश्मनों को जिन्हें मामूली आरोपों के आधार पर जेलों में डाल दिया गया था, रिहा कर दिया है। अब यह स्पष्ट हो गया है कि डॉ. महातिर नजीब के भ्रष्टाचारों को पूरी तरह उजागर करेंगे और संभवत: उन्हें लंबे अरसे के लिए जेल में डाल देंगे।

हालांकि नजीब को जैसे ही यह भान हुआ कि डॉ. महातिर उन्हें कैद करके भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण जेल में डालना चाहते हैं, उन्होंने चुपचाप मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर से एक प्राइवेट विमान कंपनी के विमान से देश से भागकर इंडोनेशिया चले जाने की योजना बनाई। यह उनका दुर्भाग्य था कि उनकी इस योजना की खबर डॉ. महातिर को मिल गई और उन्होंने सभी विमान कंपनियों को आदेश दे दिया कि वे किसी भी हालत में नजीब को देश से बाहर नहीं जाने दें। साथ ही हवाई अड्डों पर भी सुरक्षाबलों को यह निर्देश दिया कि यदि नजीब देश से भागने की कोशिश करें तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाए।

हर भ्रष्टाचारी का एक न एक दिन अंत होता है। डॉ. महातिर लंबे अरसे तक मलेशिया के प्रधानमंत्री रहे, परंतु उन पर किसी ने भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगाया। जनता को यह विश्वास है कि डॉ. महातिर के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के कारण देश में आम जनता को राहत मिलेगी। साथ ही चीनी और भारतीय मूल के अल्पसंख्यकों को पूरी सुरक्षा मिलेगी। देखना यह है कि डॉ. महातिर अपने वायदे पर कितना खरा उतरते हैं और देश के अल्पसंख्यक चीनी और भारतीय मूल के लोगों को कितनी सुरक्षा प्रदान करते हैं।

[पूर्व सांसद एवं पूर्व राजदूत] 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.