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लॉकडाउन के कारण नहीं मिली परीक्षण की अनुमति, सेना को टैंकभेदी बमों की आपूर्ति रुकी

जबलपुर स्थित आयुध निर्माणी कंपनी खमरिया को सेना को 11500 गोलों (बम) की आपूर्ति करनी है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 08:57 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 08:57 AM (IST)
लॉकडाउन के कारण नहीं मिली परीक्षण की अनुमति, सेना को टैंकभेदी बमों की आपूर्ति रुकी
लॉकडाउन के कारण नहीं मिली परीक्षण की अनुमति, सेना को टैंकभेदी बमों की आपूर्ति रुकी

जबलपुर, जेएनएन। लद्दाख में चीन की चुनौती के बीच सेना को टैंकभेदी बमों की आपूर्ति बाधित हो गई है। दरअसल कोरोना महामारी के कारण बमों के परीक्षण के लिए जाने वाली तकनीकी टीम को ओडिशा के फायरिंग रेंज प्रबंधन ने प्रवेश की अनुमति नहीं दी है। जबलपुर स्थित आयुध निर्माणी कंपनी खमरिया (ओएफके) को सेना को 11500 गोलों (बम) की आपूर्ति करनी है। इसमें तीन हजार गोलों की खेप बनकर तैयार है। परीक्षण के बाद ही इसे सेना को आपूर्ति करने की अनुमति दी जाती है।

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इन गोलों का परीक्षण मार्च में ही किया जाना था लेकिन लॉकडाउन के कारण मामला तीन महीने में बार-बार टलता रहा। अब अनलॉक होने के बाद भी ओडिशा की बालासोर फायरिंग रेंज से अनुमति में टीम के 14 दिन के क्वारंटाइन की बाध्यता ने पेच फंसा दिया है। मामले का संज्ञान रक्षा मंत्रालय ने ले लिया है। परीक्षण जल्द पूरा कराकर सेना को गोलों की आपूर्ति कराने के प्रयास तेज किए गए हैं। गौरतलब है कि भारत-रूस के ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (टीओटी) करार के बाद सेना के लिए अचूक 125एमएम एफएसएपीडीएस (टैंकभेदी बम) की पहली खेप 130 करोड़ रपये की लागत से तैयार कराई गई है।

कच्चे माल की समस्या

ओएफके ने मैंगो प्रोजेक्ट के अंतर्गत वर्ष 2019-20 में 11500 आधुनिक टैंकभेदी बम बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया था। यह उत्पादन कार्य पूरा करने में कच्चा माल (रॉ-मटेरियल) की कमी का सामना भी करना पड़ा, इसलिए इस निर्माणी में 2019-20 में सिर्फ तीन हजार टैंकभेदी बमों का उत्पादन हो सका। निर्माणी प्रशासन ने रक्षा मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार फरवरी-मार्च में टैंकभेदी बमों की खेप परीक्षण के लिए बालासोर फायरिंग रेंज भेज दी। ओएफके प्रशासन चाहता है कि भारत-रूस के टीओटी करार के बाद उत्पादित नए टैंकभेदी बमों का निर्माणी की टीम की मौजूदगी में फायरिंग रेंज में परीक्षण किया जाए। सैन्य प्रशासन का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते किसी सिविलियन को फायरिंग रेंज में प्रवेश की अनुमति नहीं देंगे। इस वजह से टैंकभेदी बमों का परीक्षण बीते तीन माह से लटका है।

रक्षा मंत्रालय को दी खबर

निर्माणी प्रशासन ने बालासोर फायरिंग रेंज में टैंकभेदी बम के फायरिंग टेस्ट के दौरान ओएफके की टीम को प्रवेश नहीं मिलने की खबर आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) के माध्यम से रक्षा मंत्रालय को दी है। साथ ही मंत्रालय से ओएफके की टीम के सदस्यों को फायरिंग रेंज में प्रवेश की अनुमति देने की मांग की है।

एसके राउत, प्रोडक्शन मैनेजर, ओएफके, जबलपुर

सैन्य प्रशासन कोरोना के चलते ओएफके की टीम को फायरिंग रेंज में जाने की अनुमति नहीं दे रहा है। हमारी टीम के सामने इन बमों का परीक्षण होने से हमें इसकी गुणवत्ता को बेहतर बनाने का मौका मिलेगा।


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