Terror Alert: 19 वर्ष में 60,000 से अधिक आतंकी हमले, अब आतंकियों ने बदली रणनीति
Terror Alert जैश-ए-मोहम्मद ने अब भारत के 30 शहरों समेत वायुसेना के बेस और चार बड़े एयरपोर्ट पर बड़े हमलों की चेतावनी दी है। इसके बाद से पूरे देश में हाई अलर्ट है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म करने के बाद पाकिस्तान, भारत को घेरने और बदनाम करने की तमाम नाकाम कोशिशें कर चुका है। हर मंच पर असफल होने के बाद पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत से बदला लेने के लिए आतंकी साजिश रचनी शुरू कर दी हैं। अब जैश-ए-मोहम्मद ने भारत के 30 बड़े शहरों समेत वायु सेना के ठिकानों और चार बड़े एयरपोर्ट समेत कई अहम ठिकानों को निशाना बनाने की धमकी दी है। इसके बाद पूरे देश में हाई अलर्ट घोषित किया जा चुका है। जैश की मौजूदा धमकी और पिछले वर्षों में उसके द्वारा की गई वारदातों से पता चलता है कि आतंकियों ने भारत के खिलाफ अपनी रणनीति बदल दी है। आइये जानते हैं, पाक आतंकियों की भारत के खिलाफ नई रणनीति क्या है और इसका मकसद क्या है?
वर्ष 2000 से अब तक हुए 63,463 आतंकी हमले
साउथ एशिया टेरेरिज्म पोर्टल (SATP) पोर्टल पर मौजूद डाटा के अनुसार भारत में वर्ष 2000 से अब तक (23 सितंबर 2019) तक कुल 63,463 आतंकी घटनाएं हुई हैं। वर्ष 2000 में देश में कुल 3022 आतंकी घटनाएं हुई थीं। सबसे ज्यादा आतंकी घटनाएं वर्ष 2001 व 2003 में क्रमशः 4483 और 4114 हुई थीं। वर्ष 2018 में आतंकी घटनाओं की संख्या घटकर 2119 रह गईं। इस वर्ष अब तक हुई आतंकी घटनाओं की कुल संख्या मात्र 1416 है, जो पिछले 19 वर्षों में सबसे कम है। इन आतंकी हमलों में पिछले 19 वर्षों में अब तक कुल 44,769 मौतें हुई हैं। सबसे ज्यादा 5504 मौतें, वर्ष 2001 में हुई थीं। मरने वालों में 1508 आम नागरिक, 883 सुरक्षा बलों के जवान, 3005 आतंकी और 108 अन्य लोग शामिल थे, जिनकी पहचान नहीं हो सकी थी। आतंकी घटनाओं में सबसे कम 812 मौतें वर्ष 2017 में हुई हैं। मरने वालों में 204 आम नागरिक, 172 सुरक्षा बलों के जवान, 435 आतंकी और एक अज्ञात शामिल थे। वर्ष 2019 में अब तक (23 सितंबर 2019 तक) आतंकी घटनाओं में सबसे कम कुल 512 मौतें हुई हैं। मरने वालों में 113 आम नागरिक, 122 सुरक्षा बल के जवान और 277 आतंकी शामिल रहे हैं।
अब सुरक्षा बल और अहम ठिकाने हैं निशाने पर
भारत में हुई आतंकी घटनाओं के डाटा पर नजर डालें तो पता चलता है कि आतंकी ने अपने हमलों के तौर-तरीकों में काफी बदलाव किया है। भारत के खिलाफ आतंकियों ने अपनी रणनीति बदल दी है। आतंकी अब आम लोगों या भीड़-भाड़ वाले बाजारों को निशाना बनाने की जगह, सुरक्षा बलों और देश के अहम रणनीतिक ठिकानों को निशाने बना रहे हैं। South Asia Terrorism Portal (SATP) के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि पिछले सात वर्षों में आतंकी हमलों में शहीद जवानों की संख्या बढ़ी है। वर्ष 2000 से 2012 तक शहीद सैनिकों की संख्या में लगातार कमी दर्ज की गई। वर्ष 2012 में शहीद सैनिकों की संख्या घटकर मात्र 132 रह गई थी। इसके बाद से अब तक शहीद सैनिकों की संख्या में निरंतर इजाफा दर्ज किया गया है। 2018 में शहीद सैनिकों की संख्या 183 थी और इस वर्ष अब तक शहीद जवानों की संख्या 122 पहुंच चुकी है। पिछले दिनों देश में ऐसे कई आतंकी हमले हुए हैं, जिसमें केवल सुरक्षा बलों या उनके कैंप या काफिले को निशाना बनाया गया।
370 खत्म करने के बाद कोई हमला नहीं
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षों में देश में आतंकी हमलों की संख्या 176 फीसद बढ़ी है और इन हमलों में शहीद होने वाले जवानों की संख्या में भी 93 फीसद का इजाफा हुआ है। इसमें 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुआ आतंकी हमला भी शामिल है, जिसमें 44 जवान शहीद हो गए थे। यहां, सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म करने के बाद से अब तक देश में कहीं भी कोई भी आतंकी हमला नहीं हुआ है। इसके पहले देश में औसतन प्रतिदिन एक आतंकी घटना होती थी। केंद्र सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वो आतंकवाद पर उनकी नीति जीरो टॉलरेंस की है।
केवल दहशत फैलाना नहीं, व्यवस्था पर चोट करने का मकसद
सुरक्षा विशेषज्ञ सुशांत सरीन के अनुसार आतंकवादी संगठनों का मकसद अब भारत में केवल दहशत फैलाना ही नहीं है, बल्कि आतंकवादी अब व्यस्था पर ज्यादा से ज्यादा चोट करना चाह रहे हैं। यही वजह है कि आतंकवादी अब हमारे अहम ठिकानों जैसे एयरपोर्ट, सैन्य शिविर, सुरक्षा बलों, संसद भवन और अन्य सरकारी भवनों को टारगेट कर रहे हैं। इससे दहशत तो फैलती है साथ ही कहीं न कहीं आतंकी संगठन ये भी संदेश देने का प्रयास करते हैं कि वह कहीं भी किसी को भी निशाना बना सकते हैं। उनके लिए सुरक्षा में सेंध लगाना कोई बड़ी चुनौती नहीं है।
पहले आतंकी चोरी-छिपे बाजारों या भीड़भाड़ वाली जगहों को टारगेट करते थे, जो उनके लिए आसान निशाना होते थे। इस तरह के हमले करने के बाद आतंकी बच निकलते थे। अब आतंकी अहम ठिकानों पर फिदायीन हमला करते हैं और जवाबी कार्रवाई में मारे जाते हैं। इसके जरिए आतंकी संगठन ये भी संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि वह मरने या मारने से बिल्कुल नहीं डरते। साथ ही आतंक के आका संगठन में नए शामिल होने वाले लड़ाकों को हमलों में मारे गए जेहादियों की कहानी सुनाकर कुर्बानी के लिए प्रेरित करते हैं। फिदायीन हमले में मारे जाने वाले आतंकी को संगठन द्वारा रोल मॉडल के तौर पर पेश किया जाता है।
पांच साल में निशाने पर रहे सुरक्षा बल के जवान
2014 - जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमलों में 47 जवान शहीद हुए, जबकि 28 आम लोगों की मौत हुई थी। इस वर्ष 110 आतंकवादी मारे गए थे।
2015 - आतंकी हमलों में 39 जवान शहीद और 17 नागरिक भी मारे गए। इस साल 108 आतंकी मारे गए थे।
2016 - आतंकी हमलों में 82 जवान शहीद, 15 नागरिक मारे गए। मुठभेड़ में 150 आतंकी हुए ढेर।
2017 - आतंकी हमलों में 80 जवान शहीद, 40 नागरिक भी मारे गे। इस वर्ष 213 आतंकियों को मार गिराया गया।
2018 - इस वर्ष सबसे ज्यादा 91 सैनिक शहीद हुए, जबकि 38 नागरिकों को जान गंवानी पड़ी। इस वर्ष सुरक्षा बलों ने 257 आतंकियों को मार गिराया था।
पूर्व में सुरक्षा बलों व अहम ठिकानों पर हुए बड़े हमले
14 फरवरी 2019 - पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर विस्फोटक से भरी गाड़ी टकराकर फिदायीन हमला किया गया। इस हमले में आतंकी समेत 44 जवान शहीद हो गे।
18 सितंबर 2016 - उरी सेक्टर में सेना के कैंप पर रात के वक्त हुए आतंकवादी हमले में 20 जवान शहीद हो गए। इस हमले को तीन से पांच आतंकियों ने अंजाम दिया था।
25 जून 2016 - पंपोर में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आतंकवादी हमले में 8 जवान शहीद हुए।
07 दिसंबर 2015 - अनंतनाग में हुए आतंकवादी हमले में 6 जवान शहीद हुए थे।
27 जुलाई 2015 - पंजाब के गुरदासपुर में आतंकियों ने पहले जम्मू जा रही एक बस को निशाना बनाया। फिर दीनानगर पुलिस थाने में घुसकर अंधाधुंध फायरिंग की। 11 घंटे चली मुठभेड़ में सात लोग मारे गए, जिसमें चार पुलिस जवान और तीन आतंकी थे।
02 जनवरी 2015 - पठानकोट स्थित वायुसेना के एयरबेस पर 7 पाकिस्तानी आतंकियों ने हमला कर दिया। इसमें सात जवान शहीद हो गए थे।
05 दिसंबर 2014 - 2016 से पहले भी उरी सेक्टर में सैन्य कैंप को निशाना बनाते हुए एक आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में सात सैनिक शहीद हुए थे।
26 सितंबर 2013 - जम्मू-कश्मीर में आत्मघाती हमले में लेफ्टिनेंट कर्नल बिक्रमजीत सिंह समेत 10 जवान शहीद हुए थे। जवाबी कार्रवाई में तीन आतंकवादी भी मारे गए थे।
24 जून 2013 - श्रीनगर में हुए आतंकवादी हमले में 8 जवान शहीद हो गए थे।
31 मार्च 2013 - श्रीनगर में ही हुए आतंकवादी हमले में 5 जवान शहीद हुए थे।