Move to Jagran APP

वेटिकन में आज दी जाएगी मदर टेरेसा को 'संत' की उपाधि

मदर टेरेसा को आज संत की उपाधि दी जाएगी। इस कार्यक्रम में हिस्‍सा लेने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज, दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल की सीएम भी वेटिकन पहुंची है

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 03 Sep 2016 06:52 PM (IST)Updated: Sun, 04 Sep 2016 07:30 AM (IST)
वेटिकन में आज दी जाएगी मदर टेरेसा को 'संत' की उपाधि

कोलकाता (जेएनएन)। गरीब, बेसहारा, बीमार लोगों के लिए अपना जीवन समर्पित करने वालीं मदर टेरेसा को आज 'संत' की उपाधि दी जाएगी। इसके बाद उन्हें 'संत मदर टेरेसा' कहा जा सकेगा। इस वजह से आज का दिन भारत के लिए बेहद खास है। इसके अलावा यह दिन उन लोगों के लिए भी खास है जिन्होंने मदर को देखा और और जिन्होंने उनसे आशीर्वाद लिया। आज इस अहम मौके पर करीब एक लाख लोग वेटिकन में होने वाले कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे तो पश्चिम बंगाल समेत पूरे भारत में लाखों लोग टीवी के जरिए इस ऐतिहासिक पल के गवाह बनेंगे।

prime article banner

मदर टेरेसा की कर्मभूमि कोलकाता में इस अवसर को उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। मदर हाउस को सजाया गया है। जगह-जगह मदर के बड़े-बड़े पोस्टर लगाए गए हैं। वेटिकन में सेंट पीटर्स स्क्वायर में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस मदर टेरेसा को संत की उपाधि से नवाजेंगे। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ शुक्रवार को ही इटली की राजधानी रोम पहुंच चुकी हैं। केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में दो और प्रतिनिधिमंडल भी रोम गए हैं।

मदर टेरेसा के बारे में जाने कुछ खास बातें

नोबेल व भारत रत्न समेत कई सम्मान मिले

मदर टेरेसा को 1971 में नोबेल शांति पुरस्कार और 1980 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' प्रदान किया गया था। 1988 में ब्रिटेन ने 'आर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर' की उपाधि प्रदान की। कोलकाता से शुरू हुए मिशनरीज ऑफ चैरिटी का लगातार विस्तार होता रहा और मदर टेरेसा के निधन के समय तक इसका प्रसार 610 मिशन के तहत 123 देशों में हो चुका था। दुनियाभर में तीन हजार से ज्यादा नन इससे जुड़ी हुई हैं।

पढ़ें- मदर टेरेसा का चमत्कार, प्रार्थना से स्वस्थ हुई थी भारतीय महिला: विदेशी मीडिया

मदर टेरेसा ने कई आश्रम, गरीबों के लिए रसोई, स्कूल, कुष्ठ रोगियों की बस्तियां और अनाथ बच्चों के लिए घर बनवाए। 5 सितंबर, 1997 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। निधन के पश्चात पॉप जॉन पॉल द्वितीय ने उन्हें 'धन्य' घोषित किया था।

दो बाल्कन देश भी होंगे खुशी में शरीक

पोप फ्रांसिस जब रविवार को मदर टेरेसा को संत की पदवी प्रदान करेंगे तो दो बाल्कन देश अल्बानिया और मेसेडोनिया भी इस खुशी में शरीक होंगे। ये दोनों मदर टेरेसा को अपने देश का बताते हैं। 1950 में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना करने वाली मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को मेसेडोनिया गणराज्य (तत्कालीन उस्कुब, ओटोमन साम्राज्य) की राजधानी स्कोप्जे में हुआ था। उनका असली नाम अग्नेसे गोंकशे बोजशियु था। उनकी मां अल्बानियाई थीं और उनका परिवार कोसोवो से आया था। उनके पिता के मूल स्थान को लेकर भी विवाद है।

ज्यादातर लोगों (खास तौर पर अल्बानिया में) का कहना है कि वह भी अल्बानियाई थे। लेकिन मेसेडोनिया के लोगों का कहना है कि वह एक अन्य बाल्कन जातीय समूह 'व्लाच' थे। दोनों बाल्कन देशों में मदर टेरेसा को लेकर किस कदर प्रतिस्पर्धा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दोनों ही देशों में मदर टेरेसा की मूर्तियां लगी हैं। सड़कों, अस्पतालों और अन्य स्मारकों के नाम भी उनके नाम पर रखे गए हैं।

पढ़ें- विहिप ने कहा, मदर टेरेसा को संत का दर्जा मिलने से धर्मांतरण और बढ़ेगा

ओबामा की सहयोगी भी करेंगी कार्यक्रम में शिरकत

आतंकवाद निरोधक और होमलैंड सुरक्षा में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की सहयोगी लिसा मोनाको की अगुवाई में पांच सदस्यों का एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भी वेटिकन में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.