रुकने का नाम नहीं ले रहा टेलीकॉम टावर फ्रॉड, ऐसे बनाते हैं आम लोगों को शिकार
भारत में अभी 5.90 लाख मोबाइल टावर हैं। पिछले वर्ष ही 66690 टावर मोबाइल कंपनियों ने लगाये हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले एक महीने में देश के दो राज्यों में टावर फ्रॉड करने वाले दो गिरोहों का पर्दाफाश होने से यह साफ हो गया है कि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े दूरसंचार बाजार में इस समस्या का कोई काट नहीं निकल पाया है। जैसे-जैसे दूरसंचार कंपनियां देश भर में मोबाइल नेटवर्क को मजबूत करने के लिए ज्यादा से ज्यादा टावर लगाने पर जोर दे रही हैं, वैसे-वैसे इसके नाम पर धोखाधड़ी करने वाले भी सक्रिय होते जा रहे हैं।
हालात की गंभीरता को देख दूरसंचार कंपनियों के संगठन सीओएआइ ने एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर इसके लिए जागरुकता अभियान चलाने का फैसला किया है। इसके तहत ग्राहकों को यह बताया जाएगा कि टावर लगाने का आपरेशन संगठित तौर पर किया जाता है और इसका ठेका छोटी मोटी कंपनियों को नहीं दिया जाता। सीओएआइ का कहना है कि जल्द ही 5जी की शुरुआत से सालाना तकरीबन एक लाख नए टावर और देश में लगाये जाने हैं, ऐसे में आम जनता को सतर्क रहना होगा।
भारत में अभी 5.90 लाख मोबाइल टावर हैं। पिछले वर्ष ही 66,690 टावर मोबाइल कंपनियों ने लगाये हैं। धोखाधड़ी करने वाले गिरोह लोगों को फोन करके उन्हें टावर लगाने के कारोबार में निवेश करने का आफर देते हैं। कई बार यह देखा गया है कि स्थानीय स्तर के गिरोह भी इसमें शामिल होते हैं, जिन्हें लोगों की जमीन वगैरह के बारे में पता होता है। उनकी तरफ से टावर लगाने का आफर दिया जाता है और इसके एवज में एडवांस मांगा जाता है। ऑन लाइन तरीके से पैसा किसी खास एकाउंट में ट्रांसफर कराने के बाद गिरोह गायब हो जाता है।
सीओएआइ के महानिदेशक ले. जनरल डॉ. एस पी कोचर का कहना है, 'दूरसंचार कंपनियां भारतीय ग्राहकों क बेहतरीन सेवा देने की कोशिश कर रही हैं। हम आम जनता को यह बताना चाहते हैं कि मोबाइल टावर या तो सीधे मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी देती है या फिर उसकी तरफ से नामित कोई ठेकेदार कंपनी करती है। मेरा आग्रह है कि अगर किसी व्यक्ति से इस तरह का संपर्क किया जाता है तो वह पहले हमारे वेबसाइट या फिर टॉल फ्री नंबर 14404 व 1800-11-4000 पर फोन कर सही जानकारी हासिल कर लें। आम जनता के सहयोग से ही हम इस फ्राड को रोक सकते हैं। टेलीकॉम कंपनियां लगातार नए टावर लगा रही हैं, ताकि बेहतरीन सेवा दी जा सके।'
सीओएआइ का कहना है कि उनकी सदस्य कंपनियों से जो सूचनाएं मिली हैं उससे लगता है कि सबसे ज्यादा टावर फ्राड उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु व महाराष्ट्र में हो रहा है। मजेदार बात यह है कि भारत के अलावा अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, यूके व न्यूजीलैंड में भी टावर फ्राड होते हैं।