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Telangana Municipal Election 2020: नगरपालिका चुनावों में होगा फेस रिकग्निशन एप का इस्तेमाल

Telangana Municipal Election 2020 इसका इस्तेमाल 10 चयनित पोलिंग स्टेशंस पर पायलट के तौर पर किया जाएगा।

By Neel RajputEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 10:58 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 12:15 PM (IST)
Telangana Municipal Election 2020: नगरपालिका चुनावों में होगा फेस रिकग्निशन एप का इस्तेमाल
Telangana Municipal Election 2020: नगरपालिका चुनावों में होगा फेस रिकग्निशन एप का इस्तेमाल

हैदराबाद, पीटीआइ। Telangana Municipal Election 2020: तेलंगाना स्टेट इलेक्शन कमीशन कोमपल्ली नगरपालिका चुनावों के दौरान चेहरा पहचानने वाली एप (Facial Recognition App) का उपयोग करेगा। इसका इस्तेमाल 10 चयनित पोलिंग स्टेशंस पर पायलट के तौर पर किया जाएगा।

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शनिवार रात को जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस बार मतदाताओं की पहचान फेस रिकग्निशन एप का इस्तेमाल किया जाएगा। निर्वाचन आयोग ने इसके पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अभी इसका इस्तेमाल मेडचाल-मल्काजगिरि जिले की कोमपल्ली नगरपालिका के दस पोलिंग स्टेशन पर करने का निर्णय लिया है।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि यदि इसका कोई नकारात्मक परिणाम सामने आता है तो मतदाता अपने मताधिकारक से वंचित नहीं होगा और इसके बाद वोटर का डाटा डिलीट कर दिया जाएगा। बता दें कि 120 नगरपालिका और 9 नगर निगमों के लिए मतदान 22 जनवरी को होगा और नतीजे 25 जनवरी तक घोषित होने की संभावना है। वहीं करीमनगर नगर निगम में 25 जनवरी को पोलिंग होगी और रिजल्ट की घो,णा 27 जनवरी को की जाएगी।

स्टेट इलेक्शन कमीशन ने कहा कि इस तकनीक का उपयोग चयनित 10 पोलिंग स्टेशनों पर किया जाएगा। इसके अलावा यह भी स्पष्ट किया गया है कि इसमें फोटोग्राफ्स और अन्य डाटा को स्टोर नहीं किया जाएगा। इस तरह का सभी डाटा मोबाइल और तेलंगाना स्टेट टेक्नोलॉजी सर्विसेज से हटा दिया जाएगा।

एक कार्यकारी पोलिंग अधिकारी पहले स्मार्टफोन से मतदाता का फोटो लेकर उसके आइडेंटिटी प्रूफ पर लगी फोटो से वेरिफाई करेगा और इसका बाद फेस रिकग्निशन एप पर इसको अपलोड कर दिया जाएगा। एप एक उपयुक्त संदेश के साथ किसी भी मतदाता के साथ स्थापित मैच के आधार पर सत्यापन के परिणामों को प्रदर्शित करेगा। इस संदेश में लिखा होगा कि पूरी प्रक्रिया को ठीक से एन्क्रिप्ट किया गया है और डेटा को गुमनाम रखा गया है। हालांकि इसका इस्तेमाल एक एडिशनल सिस्टम के तौर पर ही किया जाएगा। मतदाताओं की प्रमाणिकता जांचने के लिए अभी भी पुराने तरीकों का ही पूरी तरह से इस्तेमाल किया जाएगा।


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