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तीस्‍ता के पूर्व सहयोगी जफर सरेशवाला ने खोले राज, कांग्रेस नेता अहमद पटेल के इशारे पर करती थीं काम

जफर ने कहा कि तीस्ता पूरी तरह कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल के इशारे पर काम कर रही थीं। सरेशवाला ने कहा कि उन्होंने खुद दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) में अर्जी दी थी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 26 Jun 2022 11:27 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2022 11:27 PM (IST)
तीस्‍ता के पूर्व सहयोगी जफर सरेशवाला ने खोले राज, कांग्रेस नेता अहमद पटेल के इशारे पर करती थीं काम
तीस्ता के पूर्व सहयोगी एवं मुस्लिम कारोबारी जफर सरेशवाला

शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। गुजरात में दंगा पीड़ित मुसलमानों को हिंदुओं के खिलाफ भड़काया और डराया गया। तीस्ता सीतलवाड़ तत्कालीन यूपीए सरकार के नेताओं के इशारे पर अपना एजेंडा चला रही थीं। उन्हें धन और शोहरत बटोरने में रुचि थी। विदेश से भारी मात्रा में धन लेकर न उन्होंने किसी पीड़ित को मकान दिया और न ही किसी बच्चे की फीस भरी। यह कहना है तीस्ता के पूर्व सहयोगी एवं मौलाना आजाद उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद के पूर्व कुलपति एवं मुस्लिम कारोबारी जफर सरेशवाला का।

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जफर ने साफ तौर पर कहा कि तीस्ता पूरी तरह कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल के इशारे पर काम कर रही थीं। सरेशवाला ने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि उन्होंने खुद दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) में अर्जी दी थी। तीस्ता के साथ रहते 2004 में जब उन्हें उनकी असलियत पता चली तो उनको दो टूक कहा कि मुस्लिमों की कब्र पर ताजमहल नहीं बनाने देंगे।

सरेशवाला ने कहा, हम न्याय के लिए लड़ रहे थे और तीस्ता एक एजेंडा चला रही थीं। नरेन्द्र मोदी का पक्ष लेने वालों को तीस्ता अपने गैंग के जरिये कौम का गद्दार बताया करती थीं और मुसलमानों को हिंदुओं के खिलाफ भड़काती थीं। सरेशवाला ने कहा, जमीयत उलमा-ए-हिंद, सियासत हैदराबाद और कई मुस्लिम संस्थाओं सहित उनके परिवार ने मिलकर दंगा पीड़ितों के लिए 1,600 घर बनवाए। बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था की। लेकिन, तीस्ता ने एक भी परिवार को मकान नहीं दिया।

2002 के बाद से तरक्की कर रहा गुजरात का मुसलमान

सरेशवाला का दावा है कि 2002 के बाद से गुजरात का मुसलमान लगातार तरक्की कर रहा है। शिक्षा, व्यापार, लघु उद्योग और बडे़ कारोबार में भी गुजरात का मुसलमान अन्य राज्यों के मुसलमानों से सुखी और समृद्ध है। उनका यह भी कहना है कि गुजरात दंगा मामलों में 80 को उम्रकैद व 400 दोषियों को सजा हुई। 1969 के दंगे में करीब पांच हजार लोग मारे गए थे। इसके बाद भी 1985, 1987 तथा 1990 में दंगे हुए। लेकिन किसी में भी सजा नहीं हुई।


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