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छत्तीसगढ़ : आनलाइन पढ़ाई से वंचित बच्चों को पढ़ाने का अनूठा फार्मूला, घर-घर जाकर शिक्षिकाओं ने माताओं को कराई पढ़ाई

रायपुर में इसका सफल प्रयोग हो चुका है। दावा है कि माताओं को पढ़ाकर उनके बच्चों को पढ़ाने का यह फार्मूला सार्थक साबित हुआ है। बच्चों में सीखने की ललक जागी है और वह भयमुक्त वातावरण के साथ पढ़ाई कर रहे हैं।

By Neel RajputEdited By: Published: Fri, 16 Apr 2021 08:12 PM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 08:12 PM (IST)
छत्तीसगढ़ : आनलाइन पढ़ाई से वंचित बच्चों को पढ़ाने का अनूठा फार्मूला, घर-घर जाकर शिक्षिकाओं ने माताओं को कराई पढ़ाई
माताओं को पढ़ाया ताकि कोरोना काल में बच्चे पढ़ सकें

रायपुर [संदीप तिवारी]। कोरोना संक्रमण काल में बदलती व्यवस्था को देखते हुए छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने बच्चों के साथ-साथ अब उनकी माताओं को भी प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया है। यह कवायद कोरोना काल में स्कूल का मुंह नहीं देख पाने वाले ऐसे बच्चों के लिए है जो आनलाइन पढ़ाई करने में सक्षम नहीं है। 'अंगना में ही शिक्षा' के नाम से चल रहे इस कार्यक्रम में बच्चों को उनके आंगन में घर की चीजों से ही बनी पठन-पाठन सामग्री के साथ पढ़ाया जा रहा है।

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रायपुर में इसका सफल प्रयोग हो चुका है। दावा है कि माताओं को पढ़ाकर उनके बच्चों को पढ़ाने का यह फार्मूला सार्थक साबित हुआ है। बच्चों में सीखने की ललक जागी है और वह भयमुक्त वातावरण के साथ पढ़ाई कर रहे हैं। आने वाले समय में इस माडल को प्रदेश के अन्य इलाकों में भी लागू करने की तैयारी चल रही है।

450 गांवों में चला प्रयोग

कोरोना काल में जब लोग घर के भीतर सिमटे हुए थे, तब 246 शिक्षिकाएं माताओं को पढ़ाने के लिए प्रशिक्षण ले रहीं थीं। इसके बाद वह एक-एक माता को पढ़ाने में जुट गईं। पहले अपने स्कूलों के बच्चों की माताओं को पढ़ाया और उन्हें छोटे बच्चों को पढ़ाने का तरीका सिखाया। नतीजा यह हुआ कि माताओं ने अपने बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा देना शुरू कर दिया। जिस घर में माताएं बिल्कुल नहीं शिक्षित हैं, वहां पिता को पढ़ाने की तैयारी है।

ऐसे पढ़ा रहीं बच्चों को

बच्चों को पढ़ाने के लिए महिलाएं अपने आसपास की चीजों मसलन फल-सब्जी आदि का सहारा ले रहीं हैं। रंगों के बारे में बताने के लिए घर की किसी भी चीज के रंग को दिखाकर पढ़ा रही हैं। बच्चों को चने या मटर गिनवाकर गिनती की अवधारणा से परिचित कराया जा रहा है।

नई शिक्षा नीति के प्रविधानों के अनुकूल

नई शिक्षा नीति में अब पांच, तीन, तीन, चार के अनुसार पढ़ाई करानी है। पांच का मतलब तीन साल प्री-स्कूल और कक्षा एक व दो। उसके बाद के तीन का मतलब है कक्षा तीन, चार और पांच। फिर तीन यानी कक्षा छह, सात और आठ। आखिरी के चार का मतलब है नौंवीं, दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा।

स्कूल शिक्षा के प्रमुख सचिव डा. आलोक शुक्ला ने बताया, 'अंगना में ही शिक्षा' कार्यक्रम कोरोना काल में एक अच्छा माध्यम बन सकता है। प्रदेश में लागू करने पर विचार किया जा रहा है।


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