आर्थिक संकट से जूझ रहा टाटा शोध संस्थान ने कर्मचारियों के वेतन में की 50 फीसद कटौती
देश के अग्रणी सरकारी शोध संस्थानों में शुमार टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) आर्थिक संकट से जूझ रहा है।
मुंबई, प्रेट्र। देश के अग्रणी सरकारी शोध संस्थानों में शुमार टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) आर्थिक संकट से जूझ रहा है। संस्थान ने फरवरी महीने के लिए स्टाफ को सिर्फ 50 फीसद ही वेतन दिया है। गुरुवार को एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि संस्थान के रजिस्ट्रार विंग कमांडर (रि) जॉर्ज एंटनी ने बुधवार को स्टाफ को पत्र लिखकर उन्हें हालात की जानकारी दी। एंटनी ने पत्र में कहा कि फंड की कमी के चलते सभी कर्मचारियों, छात्रों और पोस्ट-डॉक्टरेट फेलो को फरवरी महीने के लिए उनके नेट वेतन का 50 फीसद धन तत्काल दिया जा रहा है। धन की व्यवस्था होने पर बाकी की रकम दी जाएगी। हालांकि, आधे वेतन में ही पूरे वेतन के हिसाब से होने वाली कटौती की गई है।
इस संबंध में एंटनी ने प्रतिक्रिया देने से इन्कार कर दिया। संस्थान के एक पूर्व कर्मचारी ने बताया कि वेतन में कटौती का सीधा असर मुंबई और उसके दूसरे केंद्रों के लगभग तीन हजार कर्मचारियों, छात्रों और फेलो पर पड़ेगा।
जाने माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने ट्वीट कर कहा है कि देश के बेहतरीन विज्ञान शोध संस्थान टीआइएफआर की वित्तीय हालत बहुत ही खराब हो गई है। टीआइएफआर सरकार के आणविक ऊर्जा विभाग के तहत है। 2002 में इसे डीम्ड यूनिवर्सिटी की मान्यता मिली।
सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट की सहायता और डॉ. होमी भाभा की देखरेख में 1945 में इस संस्थान की स्थापना हुई थी।