तापी परियोजना पर तालिबान के प्रस्ताव की समीक्षा कर रहा भारत, पाकिस्तान लगा सकता है अड़ंगा
तालिबान ने लगातार बताया है कि तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (TAPI) प्राकृतिक गैस पाइपलाइन परियोजना उसके लिए कितनी अहम है। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने भी कई मौकों पर दोहराया है कि TAPI प्रोजेक्ट तालिबान के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। भारत तापी (तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत) गैस पाइपलाइन परियोजना पर काम फिर से शुरू करने के तालिबान के प्रस्ताव की समीक्षा कर रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा, समीक्षा इसलिए जरूरी है क्योंकि अफगानिस्तान और पाकिस्तान दोनों में सुरक्षा चिंताएं निरंतर चुनौती बनी हुई हैं। पाकिस्तान चाहता है कि परियोजना उस तक ही सीमित रहे। वह इसमें अड़ंगा लगाने की कोशिश करेगा ताकि यह परियोजना भारत तक न पहुंचे। सूत्रों ने कहा, पाकिस्तान का भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया विशेष रूप से तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से बढ़ा है। पाकिस्तान सीमा के रास्ते आतंकियों की भारत में घुसपैठ बढ़ा रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के बाद भारत स्थिति पर सावधानीपूर्वक नजर बनाए हुए है और यह देखने वाली बात होगी कि तालिबान इस परियोजना के लिए सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करेगा।
अफगानिस्तान में फिर शुरू की जाएगी तापी परियोजना
अफगानिस्तान में तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (तापी) गैस पाइपलाइन परियोजना दोबारा शुरू होगी। तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने तुर्कमेनिस्तान के विदेश मंत्री राशिद मेरेदोव के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यह बात कही थी। तुर्कमेनिस्तान का प्रतिनिधिमंडल और तालिबान तापी परियोजना को फिर से शुरू करने सहित अन्य आर्थिक व राजनीतिक मुद्दों पर सहमत हुए हैं। तापी के अलावा, सड़कों के निर्माण व बिजली के मुद्दे पर भी वार्ता हुई है। इस अहम बैठक में प्रमुख रूप से ऐसी परियोजनाओं पर बात हुई जो पहले से चालू हैं, जिनमें तापी प्रमुख है।
बता दें कि भारत के लिए अहम तापी परियोजना की शुरुआत 2016 में हुई थी। इस परियोजना की लागत 10 अरब डालर है। इससे अफगानिस्तान को भी हर साल भारी राजस्व मिलेगा। 1800 किमी लंबी इस पाइपलाइन का 816 किमी का हिस्सा अफगानिस्तान से होकर गुजरना है।
तालिबान के लिए क्यों अहम है TAPI?
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से TAPI प्रोजेक्ट अटक गया है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि इससे अफगानिस्तान सरकार को कई करोड़ रूपये का फायदा हो सकता था। हाल ही में तालिबान के एक प्रतिनिधिमंडल ने तुर्कमेनिस्तान का दौरा किया था। यह दौरा तुर्कमेनिस्तान सरकार को भरोसा देने के लिए था तालिबान शासन के दौरान पाइपलाइन परियोजना सुरक्षित रहेगी लेकिन बात बनी नहीं।