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तमिलनाडु का हर परिवार 2.63 लाख रुपये का कर्जदार, राज्य सरकार ने अर्थव्यवस्था को लेकर जारी किया श्वेत पत्र

तमिलनाडु के वित्त मंत्री पलानीवेल त्याग राजन ने सोमवार को एक श्वेत पत्र जारी कर प्रदेश की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था की तस्वीर साफ की है। इसमें कहा गया है कि अब पुराजकोषीय मोर्चे पर कोई गुंजाइश नहीं बची है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 09 Aug 2021 10:53 PM (IST)Updated: Mon, 09 Aug 2021 11:41 PM (IST)
तमिलनाडु का हर परिवार 2.63 लाख रुपये का कर्जदार, राज्य सरकार ने अर्थव्यवस्था को लेकर जारी किया श्वेत पत्र
तमिलनाडु में प्रति परिवार 2.63 लाख रुपये का सार्वजनिक कर्ज है।

चेन्नई, पीटीआइ। तमिलनाडु के वित्त मंत्री पलानीवेल त्याग राजन ने सोमवार को एक श्वेत पत्र जारी कर प्रदेश की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था की तस्वीर साफ की है। इसमें कहा गया है कि अब पुराना रुख नहीं चलने वाला है, क्योंकि राजकोषीय मोर्चे पर कोई गुंजाइश नहीं बची है। आलम यह है कि आज प्रदेश में प्रति परिवार 2.63 लाख रुपये का सार्वजनिक कर्ज है।

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सरकार ने कहा- बदलेंगे स्थिति 

त्याग राजन ने संवाददाताओं से कहा, 'हमारी पार्टी की सरकार राजनीतिक इच्छाशक्ति व प्रशासनिक कौशल से स्थितियां बदल देगी। श्वेत पत्र जारी करने का मतलब यह नहीं है कि हम अपनी प्रतिबद्धता से पीछे हट रहे हैं।' राज्य में सत्तारूढ़ द्रमुक विपक्ष में रहते अन्नाद्रमुक सरकार की कुप्रबंधन के लिए आलोचना करती थी। उसने पारदर्शिता के लिए राजकोषीय स्थिति पर श्वेत पत्र लाने की बात कही थी।

प्रति परिवार पर 2,63,976 रुपये का कर्ज

मई में सत्ता संभालने के बाद द्रमुक सरकार ने इस तरह की अपनी पहली रिपोर्ट में कहा कि गंभीर वित्तीय हालात कुछ हद तक बाहरी कारणों की वजह से हैं। हालांकि, बहुत बड़ा कारण शासन के स्तर पर संरचनात्मक खामियां हैं, जिसे समय पर ठीक नहीं किया गया। घाटे की बदतर स्थिति से राज्य कर्ज पर निर्भर होता चला गया और आज स्थिति यह है कि प्रति परिवार पर 2,63,976 रुपये का सार्वजनिक कर्ज है।

महामारी ने बिगाड़े हालात

रिपोर्ट में कहा गया है, 'कोविड-19 महामारी ने स्थिति को और बिगाड़ा। हमें अगर बढ़ते कर्ज अैर ब्याज लागत के दुष्चक्र को तोड़ना है, को अपने रुख में व्यापक बदलाव लाना होगा। यह सुधारों को आगे बढ़ाने का अवसर भी है।' श्वेत पत्र में कहा गया है कि राज्य की वित्तीय स्थिति पिछले आठ साल से बिगड़ रही है और इसके कारण विकास से जुड़ा निवेश प्रभावित हुआ।

बढ़ता गया राजकोषीय घाटा

वर्ष 2006-13 के बीच के सात में से पांच वर्षों के दौरान तमिलनाडु में राजस्व अधिशेष की स्थिति थी। वर्ष 2013 से राजस्व घाटा जारी है। द्रमुक वर्ष 2006-11 तक सत्ता में रही, जबकि अन्नाद्रमुक 2011-21 तक। तमिलनाडु का राजस्व घाटा वित्त वर्ष 2020-21 में 61,320 करोड़ रुपये रहा, जो राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.16 प्रतिशत है। राज्य का राजकोषीय घाटा 2020-21 में 92,305 करोड़ रुपये रहा, जो राज्य जीडीपी का 4.43 फीसद है। 


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