तमिलनाडु हेलीकाप्टर हादसे की होनी चाहिए गहन जांच, ताकि ना हो ऐसी दुर्घटना
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे हादसों में अक्सर मौसम ही सबसे बड़ी वजह होती है। पहाड़ी और जंगल वाले इलाकों में ऐसा होता है। कुछ लोगों का मानना है कि यह घटना साइबर हमले की वजह से हुई है।
रंजना मिश्र। देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के साथ हेलीकाप्टर हादसे का शिकार हुए ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का भी निधन हो गया। आठ दिन तक कैप्टन वरुण सिंह ने जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ी। लोग यह जानने को उत्सुक थे कि उस फ्लाइट के दौरान आखिर हुआ क्या था। कैप्टन वरुण सिंह इस सच्चाई को उजागर कर सकते थे। एमआइ-17 वी5 हेलीकाप्टर के क्रैश हो जाने के पीछे कई कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे हादसों में अक्सर मौसम ही सबसे बड़ी वजह होती है। पहाड़ी और जंगल वाले इलाकों में ऐसा होता है। जिस जगह यह हादसा हुआ वहां सुबह मौसम खराब था।
हादसे की दूसरी वजह तकनीकी खराबी हो सकती है। वैसे यह हेलीकाप्टर रूस में बना बेहद सुरक्षित और अत्याधुनिक तकनीक से लैस था। उड़ान के दौरान एक इंजन में खराबी आ जाने पर दूसरे इंजन के सहारे अपना बाकी का सफर पूरा कर सकता था। तीसरी वजह हेलीकाप्टर का किसी पेड़ या पावर लाइन से टकराना भी हो सकता है, क्योंकि आमतौर पर हेलीपैड के नजदीक आकर चापर अपनी ऊंचाई कम कर देते हैं, ताकि उनके लिए लैंड करना आसान हो जाए। चौथी वजह पायलट की गलती भी हो सकती है, लेकिन इसकी संभावना न के बराबर है, क्योंकि इस हाईप्रोफाइल हेलीकाप्टर के पायलट बहुत ही एक्सपर्ट होते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह घटना साइबर हमले की वजह से हुई है। इसके कारण पूरा सिस्टम ठप हो गया और पायलट का हेलीकाप्टर पर नियंत्रण नहीं रहा।
कैप्टन वरुण सिंह ने कुछ समय पहले अपने स्कूल के बच्चों और प्रिंसिपल के लिए एक प्रेरक पत्र लिखा था। जिसमें कहा था कि ‘हर कोई स्कूल में उत्कृष्ट नहीं होता। सभी 90 प्रतिशत अंक हासिल नहीं कर सकते। यदि आप ऐसा करते हैं तो यह एक अद्भुत उपलब्धि हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो यह मत सोचिए कि आप औसत दर्जे के हैं। आप स्कूल में औसत दर्जे के हो सकते हैं, लेकिन यह जीवन में आने वाली चीजों का कोई पैमाना नहीं है। अपनी हाबी ढूंढे़ें। यह कला, संगीत, ग्राफिक डिजाइन, साहित्य इत्यादि हो सकती है। आप जो भी काम करें, उसमें समर्पित रहें। अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें। यह सोच कर कभी बिस्तर पर मत जाएं कि मैं और प्रयास कर सकता था।
वह भी स्कूल में औसत छात्र थे, लेकिन उनमें विमानों के लिए जुनून था। जब वह युवा कैडेट थे तो उनमें भी आत्मविश्वास कम था, लेकिन बाद में उन्हें यह अहसास हुआ कि यदि अपना दिमाग और दिल लगा दें तो बहुत अच्छा कर सकते हैं।’ युवाओं को उनकी इन बातों से सीख लेनी चाहिए। कुल मिलाकर इस हादसे की गहन जांच होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सके और वीर जवानों के जीवन की रक्षा हो सके।(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)