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तमिलनाडु सरकार ने जल्लीकट्टू के आयोजन को अनुमति दी, कोरोना के कारण लागू होंगी पाबंदियां

तमिलनाडु सरकार ने कुछ पाबंदियों के साथ जल्लीकट्टू के आयोजन को अनुमति दे दी है। इस दौरान समारोह में 150 से ज्याद लोग शामिल नहीं होंगे। खिलाड़ियों के पास कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है। दर्शकों की संख्या 50 फीसद से अधिक नहीं होनी चाहिए।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 23 Dec 2020 10:58 AM (IST)Updated: Wed, 23 Dec 2020 10:58 AM (IST)
तमिलनाडु सरकार ने जल्लीकट्टू के आयोजन को अनुमति दी, कोरोना के कारण लागू होंगी पाबंदियां
कुछ पाबंदियों के साथ जल्लीकट्टू के आयोजन को अनुमति मिली।

 चेन्नई, एएनआइ। तमिलनाडु सरकार ने कोरोना वायरस महमारी के कारण कुछ पाबंदियों के साथ जल्लीकट्टू के आयोजन को अनुमति दे दी है। इस दौरान समारोह में 150 से ज्याद लोग शामिल नहीं होंगे। खिलाड़ियों का कोरोना वायरस का नेगेटिव रिपोर्ट होना अनिवार्य है। आयोजस्थल पर दर्शकों की कुल क्षमता के केवल 50 फीसद लोगों को इकट्ठा होने की अनुमति होगी। राज्य में अब तक आठ लाख से ज्यादा मामले सामने आ गए हैं। वहीं 12 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। 

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जल्लीकट्टू के लिए अधिकतम 300 प्रतिभागियों  और एक अन्य खेल एरुधु विदुम निगाची (Erudhu Vidum Nigazhchi के लिए 150 प्रतिभागियों को अनुमति दी जाएगी। सरकार को आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि आयोजनस्थल में में प्रवेश करने से पहले दर्शकों की थर्मल स्कैनिंग होगी। उन्हें आवश्यक रूप से शारीरिक दूरी का पालन करना होगा। इसके अलावा मास्क पहनना भी अनिवार्य होगा। जनवरी 2021 में खेल के संचालन के लिए एक विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया अलग से जारी की जाएगी। अलंगनल्लूर और पलामेडु तमिलनाडु के वे क्षेत्र जहां सदियों से इस खेल का आयोजन हो रहा है।

जल्लीकट्टू एक पारंपरिक खेल है। यह पोंगल के समय फसलों की कटाई के समय आयोजित होता है। यह 400 साल पुराना खेल है। इस दौरान सांड़ों भड़काकर की सीगों में सिक्के या नोट फंसा दिए जाते। फिर उन्हें भीड़ में छोड़ दिया जाता है। लोगों को इन्हें काबू में करना होता है। सांड़ों के तेज दौड़ने के लिए उनकी आंखों में मिर्च डालने से लेकर उनकी पूंछों को मरोड़ा जाता है।

बता दें कि जलीकट्टू का पशुप्रेमी काफी विरोध करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसका काफी विरोध हुए। लोग सड़क पर उतर आए, जिसके बाद राज्य सरकार एक अध्यादेश पास करके इसके आयोजन को अनुमति दे दी। पेटा इंडिया द्वारा याचिका दायर की गई थी।


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