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भारत के 'शुक्रयान' के मिशन में शामिल होगा स्‍वीडन, 2024-26 में किया जाएगा प्रक्षेपण

पृथ्वी की जुड़वां बहन के तौर पर माने जाने वाले शुक्र ग्रह पर इसरो के मिशन में स्‍वीडन भी शामिल होगा। भारत में स्‍वीडन के राजदूत ने बताया कि स्‍वीडन के इंट्स्‍टीट्यूट ऑफ स्‍पेस फिजिक्‍स को इस वेंचर में शामिल कर लिया गया है।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 12:47 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 12:47 PM (IST)
भारत के 'शुक्रयान' के  मिशन में शामिल होगा स्‍वीडन, 2024-26 में  किया जाएगा प्रक्षेपण
2024 या 26 में प्रक्षेपित किया जाएगा इसरो का शुक्रयान

बेंगलुरु, प्रेट्र। भारत के वीनस ऑर्बिटर मिशन 'शुक्रयान' में स्‍वीडन (Sweden) का नाम भी शामिल हो गया है जो अपने वैज्ञानिक उपकरण के साथ ग्रह पर रवाना होगा। इससे पहले में शुक्र ग्रह पर जून 2023 में देश के पहले मिशन की योजना थी लेकिन महामारी कोविड-19 के कारण इसकी तारीख आगे बढ़ा दी गई। अब इसे 2024 या 2026 में प्रक्षेपित किया जा सकता है।

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स्‍वीडन देगा अपना वैज्ञानिक उपकरण

भारत में स्‍वीडन के राजदूत क्‍लास मोलिन (Klas Molin) ने कहा कि स्‍वीडिश इंस्‍टीट्यूट ऑफ स्‍पेस फिजिक्‍स (IRF) इस उद्यम में शामिल है जो इसका भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्‍थान ISRO के साथ दूसरा वेंचर है। उन्‍होंने यह भी बताया,'आईआरएफ उपग्रह उपकरण विनसियन न्यूट्रल्स एनालाइजर (वीएनए) इस बात का अध्ययन करेगा कि सूर्य से निकलने वाले आवेशित कण की (शुक्र) ग्रह के वातावरण में कैसी प्रकृति होगी और वे कैसा व्यवहार दिखाते हैं। उन्होंने कहा, 'शुक्र मिशन का अर्थ है कि आईआरएफ और इसरो के बीच सहयोग जारी रहेगा। स्वीडिश अधिकारियों के अनुसार वीएनए, आईआरएफ द्वारा विकसित नौवीं पीढ़ी का उपकरण है।

हर 19 माह पर आता है बेहतरीन मौका

उल्‍लेखनीय है कि इस ग्रह पर मिशन को प्रक्षेपित करने का बेहतरीन अवसर हर 19 महीने में आता है जब शुक्र ग्रह पृथ्वी के सबसे निकट होता है। बता दें कि आकार, घनत्व और गुरुत्वाकर्षण में समानताओं के कारण शुक्र को पृथ्वी की 'जुड़वां बहन' माना जाता है। दोनों ही ग्रहों की उत्पत्ति 4.5 अरब साल पहले हुई थी। पृथ्वी की तुलना में शुक्र ग्रह सूर्य के करीब 30 फीसद अधिक निकट है।

20 प्रस्‍तावों का इसरो ने किया चयन

इसरो ने अपने प्रस्तावित 'शुक्रयान' मिशन के लिए फ्रांस समेत अंतरिक्ष-आधारित 20 प्रायोगिक प्रस्तावों को चुना है। बेंगलुरु स्थित इसरो मुख्यालय के सूत्रों ने बताया कि इसमें रूस, फ्रांस, स्वीडन और जर्मनी का सहयोग भी है। इसरो ने शुक्र का अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष आधारित नए प्रयोगों की घोषणा की थी जिसके बाद इसके लिए भारतीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक उपकरण के प्रस्‍ताव आए। इसमें से 20 प्रस्तावों का चयन किया गया है।


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