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कोरोना काल में शरीर और मन को मजबूत करेगा स्वस्तिकासन, डिप्रेशन दूर करने में रामबाण

स्वस्तिकासन को हमारे योग शास्त्र में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। स्वस्ति का अर्थ होता है शुभ और यह हर स्थिति में अच्छा महसूस कराता है इसलिए इसको स्वस्ति या शुभ आसन कहते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 16 Jun 2020 09:22 AM (IST)Updated: Tue, 16 Jun 2020 09:23 AM (IST)
कोरोना काल में शरीर और मन को मजबूत करेगा स्वस्तिकासन, डिप्रेशन दूर करने में रामबाण
कोरोना काल में शरीर और मन को मजबूत करेगा स्वस्तिकासन, डिप्रेशन दूर करने में रामबाण

नई दिल्ली, जेएनएन। एक तरफ कोरोना से लगातार देश में मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ इसका डर लोगों को मानसिक तौर पर कमजोर कर रहा है। ऐसे में आपके शरीर को स्वस्थ और मन को मजबूत करने के लिए योग और आसन एक बेहतर तरीका है। एक ही क्रिया से मन और मस्तिष्क दोनों को लाभ होता है। अंतरराष्ट्रीय योग सप्ताह के तहत आपको दूसरे दिन बता रहे हैं स्वस्तिकासन के बारे में।

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स्वस्तिकासन क्या है : स्वस्तिकासन को हमारे योग शास्त्र में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। स्वस्ति का अर्थ होता है शुभ और यह हर स्थिति में अच्छा महसूस कराता है इसलिए इसको स्वस्ति या शुभ आसन कहते हैं। यह आसन शरीर को स्थिर करने वाला है। ध्यान के लिए जब हम बैठते हैं तो शरीर का सम्पूर्ण अंग-प्रत्यंग अपनी संपूर्ण गति को इतनी मंद कर देता है कि बिल्कुल ही सुसुप्त अवस्था में पहुंच जाए। उस अवस्था में वह अपनी ऊर्जा को संग्रहित करने लगता है। बाहर से ब्रह्मांड की ऊर्जा भी मिलती है जो शरीर को विकार रहित करने में काम आती है। यह ऊर्जा उस समय जो शरीर की जरूरत होती है उसी की पूर्ति करती है।

विधि

  • हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें।
  • पहले पैरों को सामने फैलाएं।
  • घुटने जमीन के संपर्क में रहें।
  • अब बाएं पैर तलवे को दाएं पैर के जांघ और पिंडलियों बीच से ऊपर निकालें।
  • दोनों पैरों के पंजे जांघ और पिंडलियों के बीच दबे रहने चाहिए। कमर को सीधा रखें।
  • बाएं पैर को मोड़कर दाएं पैर के घुटने के भीतरी भाग से बाएं पैर के तलवे से स्पर्श करें।
  • इसी प्रकार, दाएं पैर को मोड़कर बाएं पैर की जांघ और पिंडलियों के बीच से ऊपर निकालें।

लाभ

  • कमर को सीधा करता है।
  • घुटनों के दर्द में लाभकारी है।
  • मानसिक शांति प्रदान करता है।
  • यह आसन शरीर को शुद्ध बनाता है।
  • शरीर और जोड़ों को व्यवस्थित करता है।

स्वस्तिक आसन से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। डिप्रेशन के मरीजों के लिए इसे थेरेपी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। कोरोना काल में स्वस्थ रहने का यह बेहतर माध्यम है। इससे व्यक्ति चिंता से बाहर निकल सकता है। छात्र-छात्राओं को परीक्षाओं के दौरान स्वस्तिक आसन करने की सलाह दी जाती है।

रिंकू कुमार, पीएचडी शोधकर्ता, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला


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