स्वामीनाथन ने कहा- चीन ने नहीं, डब्ल्यूएचओ दफ्तर ने सबसे पहले दी थी कोरोना वायरस की सूचना
अब इस वायरस के सामने आने के छह महीने बाद इसकी उत्पत्ति की जांच करने के लिए डब्ल्यूएचओ की एक टीम अगले हफ्ते चीन जाने वाली है।
नई दिल्ली, एएनआइ। कोरोना वायरस के बारे में सूचना को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) अपने पहले के रुख से पलट गया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि कोरोना वायरस के बारे में चीन में उसके कार्यालय ने सबसे पहले सूचना दी थी, चीन ने नहीं। अब इस वायरस के सामने आने के छह महीने बाद इसकी उत्पत्ति की जांच करने के लिए डब्ल्यूएचओ की एक टीम अगले हफ्ते चीन जाने वाली है। कोरोना वायरस को लेकर सतर्क नहीं करने पर डब्ल्यूएचओ दुनियाभर में आलोचना का शिकार हुआ है। खासकर अमेरिका के निशाने पर है।
31 दिसंबर, 2019 को वुहान नगर स्वास्थ्य आयोग की वेबसाइट से मिली जानकारी
एएनआइ के साथ खास बातचीत में डब्ल्यूएचओ की मुख्य विज्ञानी डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि चीन में उनके कार्यालय ने सबसे पहले कोरोना वायरस के बारे में सूचना दी थी। डब्ल्यूएचओ कार्यालय को पिछले साल 31 दिसंबर को वुहान नगर स्वास्थ्य आयोग की वेबसाइट पर 'वायरल निमोनिया' के मामलों की जानकारी मिली थी। उसके अगले दिन डब्ल्यूएचओ ने इसके बारे में चीन के अधिकारियों से जानकारी मांगी थी। चीन के अधिकारियों ने तीन जनवरी को डब्ल्यूएचओ को बताया कि अज्ञात कारणों से वायरल निमोनिया फैला है। इसके बाद नौ जनवरी को फिर अधिकारियों ने बताया कि वुहान में नए कोरोना वायरस के चलते बीमारी फैली हुई है।
स्वामीनाथन ने कहा- एक जनवरी को डब्ल्यूएचओ ने अंतरराष्ट्रीय तंत्र को किया सक्रिय
डॉ. स्वामीनाथन ने कहा, 'चीन में हमारे कार्यालय को यह जानकारी मिली और एक जनवरी को डब्ल्यूएचओ ने अपने अंतरराष्ट्रीय तंत्र को सक्रिय कर दिया, जो कि जब भी किसी नई बीमारी का संकेत मिलता है तो हम अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों के तहत करते हैं। इसके बारे में सभी को बताया गया ताकि पूरा विश्व इसके बारे में जान जाए।' बाद में डब्ल्यूएचओ ने 11 फरवरी को इस महामारी को कोविड-19 नाम दिया था।
20 अप्रैल को डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा था कि चीन से पहला मामला सामने आया था
गौरतलब है कि 20 अप्रैल को डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेडेस ने कहा था कि चीन से पहला मामला सामने आया था। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया था कि इस रिपोर्ट को चीनी अधिकारियों ने भेजा था या किसी अन्य सूत्र ने।
कोरोना महामारी से दुनियाभर में पांच लाख से ज्यादा की मौत, एक करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित
चीन पर इस महामारी के बारे में देर से सूचना देने का आरोप लगता रहा है। डब्ल्यूएचओ पर भी आरोप है कि उसने चीन का पक्ष लिया। खासकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस एधनोम घेब्रेयेसस पर चीन को बचाने का आरोप लगाते रहे हैं। यहां तक उन्होंने डब्ल्यूएचओ की फंडिंग भी रोक दी है। इस महामारी से दुनियाभर में अब तक पांच लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और एक करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं।
डब्ल्यूएचओ ने भारत के प्रयास को सराहा
डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस से निपटने के भारत के प्रयास की सराहना की है। डब्ल्यूएचओ की प्रमुख विज्ञानी डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि भारत ने अभी तक बहुत अच्छा काम किया है। उसे महामारी से संबंधित डाटा का प्रबंधन भी अच्छे से करना चाहिए। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती उसकी आबादी और भौगोलिक विविधता के साथ ही साथ यह सच्चाई भी है कि उसके हर राज्य में कोई न कोई महामारी होती ही रहती है।
भारत कोरोना के खिलाफ जंग में बेहतर कर रहा है
डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि भारत ने डब्ल्यूएचओ के सुझावों के आधार पर जनवरी में ही गंभीर कदम उठाए थे। आज भारत कोरोना के खिलाफ जंग में बेहतर कर रहा है, रोजाना दो लाख से ज्यादा जांच हो रही है। भारत ने जांच किट तैयार कर लिए हैं। भारत के लिए यह बड़ी उपलब्धि है कि कुछ महीने के भीतर वह जांच किट के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है।
कोरोना से अभी ही लड़ने की जरूरत : रेयान
डब्ल्यूएचओ के आपात स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रमुख डॉ. माइकल रेयान ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ अभी जोरदार तरीके से लड़ने की जरूरत है न कि इसके दोबारा लौटने का इंतजार करना है। उन्होंने कहा कि अगर लोग कोरोना वायरस के पहले प्रहार से बचने का तरीका जान जाएंगे तो उसके दूसरे प्रहार से बेहतर तरीके से लड़ सकेंगे। उन्होंने पॉजिटिव मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान करने के साथ ही शारीरिक दूरी बनाए रखने, मास्क पहनने और स्वच्छता पर विशेष जोर दिया।