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जब मुस्लिम परिवार के मेहमान बने स्वामी विवेकानंद

विद्वान ने स्वामीजी से कहा, आप एक हिंदू संन्यासी हैं और ये वकील मुसलमान। इनके बच्चे आपके बर्तन, भोजन इत्यादि को छू देते होंगे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 11:02 AM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 11:02 AM (IST)
जब मुस्लिम परिवार के मेहमान बने स्वामी विवेकानंद
जब मुस्लिम परिवार के मेहमान बने स्वामी विवेकानंद

नई दिल्‍ली [जेएनएन]। 11 सितंबर 1893 में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में आज ही के दिन भाषण दिया था। स्वामीजी की कही बातें और उनके कर्म आज भी करोड़ों युवाओं के आदर्श हैं। यहां हम स्वामीजी के जीवन से जुड़ा एक प्रेरक और प्रासंगिक प्रसंग बताएंगे। 15 अगस्त 1886 को रामकृष्ण परमहंस के देहावसान के बाद उनके सभी भक्त तीर्थ यात्रा एवं अन्यत्र परिव्रज्या के लिए निकल गए। मां शारदा भी कामारपकुर चली गईं।

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विवेकानंद भ्रमण करते-करते कोटा पहुंचे। वहां स्वामीजी एक मुसलमान वकील के घर पर ठहरे। धीरे-धीरे कोटा शहर के संभ्रांत विद्वत समाज को भी स्वामीजी के बारे में पता चला। वे उन वकील के घर पहुंचे। उनमें से एक विद्वान ने स्वामीजी से कहा, 'आप एक हिंदू संन्यासी हैं और ये वकील मुसलमान। इनके बच्चे आपके बर्तन, भोजन इत्यादि को छू देते होंगे। यह शास्त्र परंपरा के विरुद्ध है।'

स्वामीजी ने हंसते हुए कहा, 'मुझे शास्त्र और परंपरा की चिंता इसलिए नहीं है कि संन्यासी सभी वर्णाश्रम बंधन से ऊपर और नियमों से परे होता है। परंतु मुझे आप जैसे अल्पज्ञ और धर्ममोहित परंपरावादी से अवश्य भय है।' वह व्यक्ति स्वामीजी के मुख की ओर देखता रहा गया।

इस तरह स्वामीजी ने किसी को प्रसन्न करने के लिए अपनी बात को तोड़मरोड कर नहीं रखा वरन जो हृदय का सच है वह सहज सरल शब्दों में व्यक्त किया।

विद्वान ने स्वामीजी से कहा, 'आप एक हिंदू संन्यासी हैं और ये वकील मुसलमान। इनके बच्चे आपके बर्तन, भोजन इत्यादि को छू देते होंगे। 


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