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Sabarimala Verdict: SC ने मामला बड़ी बेंच को सौंपा, मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर रोक नहीं

Sabarimala Verdict चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली 5 जजों की पीठ ने 32 की अनुपात से मामले को बड़ी बेंच को सौंप दिया है। कोर्ट ने 2018 के फैसले पर रोक नहीं लगाई है।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 06:38 PM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 11:56 AM (IST)
Sabarimala Verdict: SC ने मामला बड़ी बेंच को सौंपा, मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर रोक नहीं
Sabarimala Verdict: SC ने मामला बड़ी बेंच को सौंपा, मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर रोक नहीं

नई दिल्ली, जेएनएन। सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने के फैसले पर  दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस मामले को बड़ी बेंच को सौंप दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली 5 जजों की पीठ ने 3:2 की अनुपात से मामले को बड़ी बेंच को सौंपा। न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ इसके पक्ष में नहीं थे। मामले को सात जजों की बड़ी बेंच को भेज दिया गया है।

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गोगोई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि पूजा स्थलों में महिलाओं का प्रवेश केवल इस मंदिर तक ही सीमित नहीं है। इसमें मस्जिदों में महिलाओं का प्रवेश भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर, 2018 के फैसले पर रोक नहीं लगाई है। यानी मंदिर में महिलाओं की एंट्री जारी रहेगी। इस फैसले में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं और लड़कियों को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने से रोकने वाले प्रतिबंध को हटा दिया गया था। 

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 28 सितंबर, 2018 के फैसले के पश्चात हुए हिंसक विरोध के बाद 56 पुनर्विचार याचिकाओं सहित कुल 65 याचिकाओं पर फैसला सुनाया। संविधान पीठ ने इन याचिकाओं पर इस साल छह फरवरी को सुनवाई पूरी की थी और कहा था कि इन पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा। इन याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली संविधान पीठ के सदस्यों में जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं।

सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं का प्रवेश वर्जित होने संबंधी व्यवस्था को असंवैधानिक और लैंगिक तौर पर पक्षपातपूर्ण करार देते हुए 28 सितंबर, 2018 को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से फैसला सुनाया था। इस पीठ की एकमात्र महिला सदस्य जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने अल्पमत का फैसला सुनाया था। केरल में इस फैसले को लेकर बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध होने के बाद दायर याचिकाओं पर संविधान पीठ ने खुली अदालत में सुनवाई की थी। याचिका दायर करने वालों में नायर सर्विस सोसाइटी, मंदिर के तांत्री, त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड और राज्य सरकार भी शामिल थीं।

त्रावणकोर बोर्ड ने किया था फैसले का समर्थन

सबरीमाला मंदिर की व्यवस्था देखने वाले त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड ने अपने रुख से पलटते हुए मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने की न्यायालय की व्यवस्था का समर्थन किया था। बोर्ड ने केरल सरकार के साथ मिलकर संविधान पीठ के इस फैसले पर पुनर्विचार का विरोध किया था। बोर्ड ने बाद में सफाई दी थी कि उसके दृष्टिकोण में बदलाव किसी राजनीतिक दबाव की वजह से नहीं आया है। कुछ दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि बोर्ड ने केरल में सत्तारूढ़ वाममोर्चा सरकार के दबाव में न्यायालय में अपना रुख बदला है। इस मसले पर केरल सरकार ने भी पुनर्विचार याचिकाओं को अस्वीकार करने का अनुरोध किया।

रविवार से दो माह के लिए खुलेगा मंदिर

केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर नए सत्र में आगामी 17 नवंबर से खुल रहा है और अगले साल 21 जनवरी को बंद होगा। पिछले साल के विरोध-प्रदर्शनों को देखते हुए राज्य की पुलिस सुरक्षा व्यवस्था में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती है। पुलिस ने दो महीने के मंदिर के कार्यक्रम को चार खंडों में विभाजित किया है। पहले दो हफ्ते 15 नवंबर से शुरू होंगे और 29 नवंबर तक चलेंगे। इस दौरान मंदिर परिसर में 2,551 पुलिस अधिकारी तैनात होंगे। जबकि 30 नवंबर से 14 दिसंबर तक 2,539 अधिकारी, तीसरे चरण में 15 से 29 दिसंबर के बीच 2,992 अफसर और चौथे चरण में 30 दिसंबर से 3,077 पुलिस अफसर सुरक्षा प्रबंध देखेंगे। राज्य के अतिरिक्त डीजी शेख दरवेश साहिब की निगरानी में सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। इस ड्यूटी रोस्टर में 24 एसपी व एएसपी, 112 डीएसपी, 264 इंस्पेक्टर, 1185 एएसआइ, 8402 सिविल पुलिस अधिकारी होंगे।


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