जम्मू में शरणार्थी रोहिंग्याओं को तत्काल रिहा करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू में शरणार्थी रोहिंग्याओं को तत्काल प्रभाव से रिहा करने की याचिका पर फैसला गुरुवार को आएगा। केंद्र सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि देश अवैध घुसपैठियों की राजधानी नहीं बन सकता है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू में शरणार्थी रोहिंग्याओं को तत्काल प्रभाव से रिहा करने की याचिका पर फैसला गुरुवार को आएगा। साथ ही केंद्र सरकार को इनको म्यांमार वापस भेजने से रोकने का निर्देश देने की अपील की है।
रोहिंग्याओं को तत्काल रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च को फैसला सुरक्षित कर लिया था
जस्टिस एसए बोबडे और एएस बोपन्ना और वी.रामासुबह्मण्यम को रोहिंग्या शरणार्थी मुहम्मद सलीमुल्लाह के लंबित मामले की अंतरिम याचिका पर अपना फैसला सुनाना है। विगत 26 मार्च को अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। केंद्र सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि देश अवैध घुसपैठियों की राजधानी नहीं बन सकता है।
म्यांमार की सेना अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का सम्मान करने में विफल
जिरह के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश होते हुए कहा कि रोहिंग्या के बच्चों की हत्या और यौन उत्पीड़न जैसी घटनाएं होती हैं। म्यांमार की सेना अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का सम्मान करने में विफल रही है। वहीं केंद्र ने भी कहा है कि यह लोग कतई रोहिंग्या नहीं हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज करेगा सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करेगा। मालूम हो कि महाराष्ट्र सरकार और उसके पूर्व गृह मंत्री देशमुख ने पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई से जांच कराने के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने अपने 52 पन्नों के आदेश में कहा था कि देशमुख के खिलाफ सिंह के आरोपों ने महाराष्ट्र पुलिस में नागरिकों के यकीन को डिगाने का काम किया है।
देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग
मालूम हो कि पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह ने 25 मार्च को बॉम्बे हाई कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की थी। परम बीर सिंह ने दावा किया था कि देशमुख ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाझे समेत अन्य अधिकारियों से बार और रेस्तराओं से 100 करोड़ रुपए की वसूली करने को कहा था। याचिका पर हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने कहा कि यह असाधारण मामला है जिसमें स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की जरूरत है।