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बैंक अकाउंट और मोबाइल सिम के लिए जरूरी नहीं आधार, जानें SC का पूरा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता को बरकार रखा है। कोर्ट ने कहा है कि स्कूल एडमिशन, बैंक अकाउंट और मोबाइल सिम के लिए जरूरी नहीं है आधार।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 11:01 AM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 09:36 PM (IST)
बैंक अकाउंट और मोबाइल सिम के लिए जरूरी नहीं आधार, जानें SC का पूरा फैसला
बैंक अकाउंट और मोबाइल सिम के लिए जरूरी नहीं आधार, जानें SC का पूरा फैसला

नई दिल्ली (जेएनएन)। नई दिल्ली [माला दीक्षित]। शुरू से विवादों में घिरे आधार कानून को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से शर्तो के साथ मंजूरी मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ प्रावधानों को रद करते हुए आधार कानून को संवैधानिक ठहराया है। हालांकि कोर्ट ने बैंक, मोबाइल फोन और स्कूल एडमीशन आदि में आधार की अनिवार्यता खत्म कर दी है। साथ ही साफ किया है कि सब्सिडी देने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए तो आधार जरूरी होगा। पैन और आधार के लिंक करने के आइटी कानून को कोर्ट ने सही ठहराया है। लेकिन कोई निजी व्यक्ति या कंपनी आधार की प्रमाणिकता नहीं मांग सकती। कोर्ट ने उससे संबंधित प्रावधान रद कर दिया है। साथ ही यह निर्देश भी दिया कि सुनिश्चित करे कि किसी भी घुसपैठी को आधार न मिल पाए।

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सरकार की आधार योजना को बल देने वाला यह ऐतिहासिक फैसला सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधानपीठ ने चार एक के बहुमत से सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, एके सीकरी, एमएम खानविलकर और जस्टिस अशोक भूषण ने कानून को संवैधानिक ठहराया है जबकि न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने बहुमत से असहमति जताते हुए कहा है कि आधार कानून और उसके नियम असंवैधानिक हैं। याचिकाकर्ताओं ने निजता के अधिकार का हनन बताते हुए आधार कानून रद करने की मांग की थी। डाटा सुरक्षा के लिहाज से भी सुप्रीम कोर्ट आधार के प्रावधानों से आश्वस्त है। आधार कानून को संवैधानिक ठहराते हुए कहा है कि आधार कानून को सरकार की निगरानी नहीं कहा जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि आधार कानून निजता का हनन नहीं करता इस अधिकार पर तर्क संगत नियंत्रण लगाया जा सकता है। आधार योजना के पीछे कानून है और इसके पीछे सरकार का उद्देश्य जरूरतमंद लोगों को सामाजिक योजनाओं का लाभ देना है। आधार कानून पूर्णता के सिद्धांत पर खरा उतरता है। निजता के अधिकार और भोजन, आश्रय आदि के अधिकार के बीच संतुलन कायम है क्योंकि व्यक्ति के बारे में सूचना बहुत कम एकत्रित की जाती है। कोर्ट ने मनी बिल के रूप में आधार को पास करने को सही ठहराया है।

कोर्ट की केंद्र को हिदायत 
कोर्ट ने यह भी कहा है कि सरकार बायॉमीट्रिक डेटा को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर कोर्ट की इजाजत के बिना किसी और एजेंसी से शेयर नहीं करेगी।कोर्ट ने केंद्र को हिदायत भी दी है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड न मिले। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने आधार एक्ट की धारा 57 को रद कर दिया है। अब प्राइवेट कंपनियां आधार की मांग नहीं कर सकती हैं। 

मोबाइल और बैंक से आधार लिंक करना जरूरी नहीं
कोर्ट ने कहा कि मोबाइल और बैंक से आधार को लिंक करने का आदेश रद कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि बैंक खाते के बारे में यह अनिवार्यता सिर्फ नये खाते खोलने के लिए नहीं रखी गई है बल्कि पुराने खातों के लिए भी आधार से लिंक कराना जरूरी किया गया अन्यथा खाता निष्कि्रय कर दिया जाएगा। ऐसा करना व्यक्ति को अपनी संपत्ति के अधिकार से वंचित करना है। ये नियम मनमाना है।


नहीं बढ़ाया जा सकता दायरा
कोर्ट यह भी साफ किया है कि सब्सिडी, सेवाओं का लाभ देने के लिए आधार का दायरा नहीं बढाया जा सकता। जाहिर तौर पर संदेश यह था कि किसी भी ऐसी योजना से आधार को नहीं जोड़ा जा सकता है जिसमें सिर्फ थोडी बहुत छूट हो। कोर्ट ने कहा कि धारा 7 के तहत सब्सिडी का लाभ देने वाली योजनाओं और वंचित वर्ग के लिए चलने वाली कल्याणकारी योजनाओं में आधार लागू होगा।

आधार कहां जरूरी कहां नहीं
1- सिर्फ उन्हीं योजनाओं में आधार लागू किया जा सकता है जो कि समेकित निधि से खर्च पर चल रही हों।
2- सीबीएससी, नीट, जेईई, यूजीसी आदि पर आधार लागू नहीं होगा
3- बच्चों को आधार कानून में इनरोल करने के लिए उनके मातापिता की सहमति जरूरी होगी।
4- माता पिता की सहमति से आधार में इनरोल हुए बच्चे बालिग होने पर अगर योजना का लाभ नहीं लेना चाहते तो उन्हें आधार से बाहर जाने का विकल्प दिया जाएगा
5- स्कूल में एडमीशन के लिए आधार जरूरी नहीं होगा क्योंकि न तो ये सेवा है और न ही सब्सिडी
6- संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत 6 से 14 साल के बच्चों के लिए शिक्षा मौलिक अधिकार है ऐसे में उसे लाभ में नहीं गिना जा सकता
7- छह से चौदह साल के बच्चे सर्व शिक्षा अभियान में आते हैं और उनके लिए आधार जरूरी नहीं होगा
8- धारा 7 के तहत कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए बच्चों को मातापिता की सहमति से आधार नंबर के लिए इनरोल किया जा सकता है
9- आधार नंबर न होने के कारण किसी भी बच्चे को योजना के लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा। अन्य दस्तावेजों के आधार पर पहचान करके उसे लाभ दिया जाएगा।

राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर सूचना साझा करने का कानून रद
कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर सूचना साझा करने की धारा 33 (2) के मौजूदा स्वरूप को अस्वीकार्य बताते हुए रद कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि वैसे राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर किसी व्यक्ति की सूचना साझा करने की अवधारणा में कोई खामी नहीं है लेकिन इसके लिए संयुक्त सचिव से ऊंची रैंक के अधिकारी की मंजूरी होनी चाहिए। इसके अलावा दुरुपयोग रोकने के लिए हाईकोर्ट के जज को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। कोर्ट ने मौजूदा कानून रद करते हुए सरकार को इस बारे में नया प्रावधान बनाने की छूट दी है।


पांच न्यायाधीशों में से कुल तीन फैसले दिये गए जिसमें जस्टिस एके सीकरी ने स्वयं, मुख्य न्यायाधीश और जस्टिस एएम खानविलकर की ओर से कानून को संवैधानिक ठहराने वाला फैसला दिया जबकि जस्टिस अशोक भूषण ने अलग से दिये फैसले में तीन न्यायाधीशों के फैसले के अधिकतर हिस्से से सहमति जताते हुए कुछ मुद्दों पर अपना अलग फैसला दिया और कानून के संवैधानिक ठहराया। जस्टिस चंद्रचूड़ ने असहमति वाला अलग से फैसला सुनाया। तीन न्यायाधीशों का मिला कर कुल 1448 पेज का फैसला है।


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