उप्र एनकाउंटर मामले में एनजीओ को सुप्रीम कोर्ट से फटकार
अदालत ने हाईकोर्ट में याचिका देने के बजाय सीधे सुप्रीम कोर्ट में आने को लेकर एनजीओ की मंशा पर सवाल उठाया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। उत्तर प्रदेश में हाल में हुए विभिन्न एनकाउंटर की सीबीआइ या एसआइटी से जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता एनजीओ को फटकार लगाई है। अदालत ने हाई कोर्ट में याचिका देने के बजाय सीधे सुप्रीम कोर्ट में आने को लेकर एनजीओ की मंशा पर सवाल उठाया। हालांकि शीर्ष अदालत ने याचिका को खारिज नहीं करते हुए एनजीओ को राज्य सरकार की ओर से दी गई जानकारी पर जवाबी हलफनामा देने को कहा है।
एनजीओ पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी ने उत्तर प्रदेश में हाल में हुए विभिन्न एनकाउंटर में अल्पसंख्यक समुदाय के युवकों को निशाना बनाए जाने का आरोप लगाते हुए सीबीआइ या एसआइटी जांच की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर राज्य सरकार से जवाब देने को कहा था।
अपने जवाब में राज्य सरकार ने एनजीओ की दलीलों को बेबुनियाद बताया। राज्य सरकार ने बताया कि पुलिस की कार्रवाई में मारे गए 48 अपराधियों में से 30 का संबंध बहुसंख्यक समुदाय से था। याचिकाकर्ता एनजीओ ने गलत मंशा से तथ्यों को मोड़ा है।
एनजीओ ने जानबूझकर केवल 14 ऐसे मामलों का जिक्र किया, जिसमें 13 अपराधी अल्पसंख्यक समुदाय के थे। राज्य सरकार ने दलील दी कि पुलिस की कार्रवाई का शिकार हुए अपराधियों की सूची देखकर ही एनजीओ के आरोप झूठे साबित हो जाएंगे।
मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ की पीठ ने एनजीओ को राज्य सरकार की दलीलों पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। अदालत ने यह भी कहा कि वकील प्रशांत भूषण द्वारा जनहित याचिका में पक्षकार बनाए जाने की याचिका पर बाद में निर्णय किया जाएगा।