सुप्रीम कोर्ट में आज से पूरी रफ्तार से कामकाज, सभी 12 खंडपीठों के 30 जज नियमित रूप करेंगे सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट छह महीने से अधिक समय के बाद सोमवार से अपनी पूरी क्षमता से कामकाज शुरू कर देगा। अब पहले की तरह सभी 12 खंडपीठों के तीस जज नियमित रूप से सुनवाई करेंगे। हालांकि कोरोना संकट के चलते वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ही सुनवाई होगी।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट छह महीने से अधिक समय के बाद सोमवार से अपनी पूरी क्षमता से कामकाज शुरू कर देगा। अब कोरोना काल से पहले की ही तरह सभी 12 खंडपीठों के तीस जज नियमित रूप से वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई करेंगे। सर्वोच्च अदालत की वेबसाइट के अनुसार 12 अक्टूबर से सुप्रीम कोर्ट की सभी पीठों के कामकाज शुरू करने से उसकी सुनवाई की रफ्तार बढ़ेगी और मामलों का पहले की अपेक्षा जल्द निपटारा हो सकेगा।
अब से दो से तीन जजों की दस खंडपीठें और दो एकल जज की पीठ सुनवाई करेगी। हालांकि कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ही सुनवाई जारी रहेगी। सोमवार को तीन जजों की आठ खंडपीठें और दो-दो जजों की दो खंडपीठें मामलों की सुनवाई करेंगी। इसके अलावा, एकल जज की दो पीठें मामलों के स्थानांतरण संबंधी याचिकाओं की सुनवाई और उन पर फैसला करेंगी।
ध्यान रहे कि मार्च में कोविड-19 के कारण शुरू हुए लॉकडाउन के समय से सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए नए मानक शुरू कर दिए थे और तब से केवल दो से तीन जजों की पांच खंडपीठें ही प्रतिदिन करीब 22 मामलों की सुनवाई करती रही हैं। देशव्यापी लॉकडाउन लगने से दो दिन पहले यानी 23 मार्च से सर्वोच्च अदालत वीडियो कांफ्रेंसिंग से ही सुनवाई कर रही है। वैश्विक महामारी के चलते सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री सीमित स्टाफ के साथ काम कर रही है।
संक्रमण से बचाव के साथ ही सार्वजनिक यातायात पूरी तरह से बंद होना भी ऐसे कदम उठाने का प्रमुख कारण था। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि वकीलों और याचिकाकर्ताओं से जुड़ी सुविधाओं को पूरी तरह से फिर से शुरू कर दिया गया है। पहले दिन वीडियो कांफ्रेंसिंग में दिक्कतें आ सकती हैं, इसलिए 12 फैसिलिटेशन रूम बनाए गए हैं। वैसे मौजूदा वक्त में सुप्रीम कोर्ट में चार जजों के स्थान रिक्त हैं जबकि तीन हाई कोर्ट बिना नियमित मुख्य न्यायाधीश के ही चल रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में पहला स्थान नवंबर 2019 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के सेवानिवृत्ति होने के बाद रिक्त हुआ था। इसी के बाद सर्वोच्च अदालत में तीन और स्थान रिक्त हुए थे। जस्टिस दीपक गुप्ता, आर.भानुमती और अरुण मिश्रा की सेवानिवृत्ति के बाद से उनके रिक्त स्थान अब तक नई नियुक्तियों से भरे नहीं गए हैं। वहीं आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इन रिक्तियों को भरने के लिए कानून मंत्रालय के पास अब तक कोलेजियम से कोई सिफारिश ही नहीं आई है।