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पेगासस मामले की नौ याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

पेगासस मामले की स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध करने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा। इनमें एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकारों एन.राम व शशि कुमार द्वारा दी गई अर्जियां भी शामिल हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 10:33 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 10:43 PM (IST)
पेगासस मामले की नौ याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा।

 नई दिल्ली, प्रेट्र। पेगासस मामले की स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध करने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा। इनमें एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकारों एन.राम व शशि कुमार द्वारा दी गई अर्जियां भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई सूची के अनुसार, प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ इजराइली फर्म एनएसओ के स्पाईवेयर पेगासस की मदद से सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रतिष्ठित लोगों, नेताओं और पत्रकारों की कथित जासूसी की खबरों से जुड़ी नौ अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

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विभिन्न लोगों व संगठनों की कुल नौ याचिकाओं पर आज होगी सुनवाई

एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने एक खबर में दावा किया कि पेगासस स्पाईवेयर के जरिये जासूसी के संभावित निशाने वाली सूची में 300 भारतीय मोबाइल फोन नंबर शामिल थे। एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया ने अपनी अर्जी में अनुरोध किया है कि पत्रकारों और अन्य के सर्विलांस की जांच कराने के लिए विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया जाए। गिल्ड ने अपनी अर्जी, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे भी याचिकाकर्ता हैं, में कहा है कि उसके सदस्य और सभी पत्रकारों का काम है कि वे सूचना और स्पष्टीकरण मांग कर और राज्य की कामयाबी और नाकामियों का लगातार विश्लेषण कर सरकार के सभी अंगों को जवाबदेह बनाएं।

कोर्ट वरिष्ठ पत्रकार परंजय गुहा ठाकुरता की ओर से दायर याचिका पर भी सुनवाई करेगा। उनका नाम उस कथित सूची में शामिल है, जिनकी पेगासस की मदद से जासूसी की जा सकती थी। पत्रकार ने अपनी अर्जी में अनुरोध किया है कि शीर्ष अदालत केंद्र सरकार को जांच से जुड़ी सभी सामग्री सार्वजनिक करने का निर्देश दे।

ठाकुरता ने अपनी अर्जी में कहा है कि पेगासस की मौजूदगी का भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, उन्होंने कोर्ट से स्पाईवेयर या मालवेयर के उपयोग को गैरकानूनी और असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध भी किया है।


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