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बेटी की निजी जिंदगी में पिता को तानाशाही का अधिकार नहींः सुप्रीम कोर्ट

केरल लव जिहाद मामले में महिला के पति ने सर्वोच्च न्यायालय से एनआईए जांच को बंद करने का अनुरोध करते हुए एक याचिका दायर की थी जिसमें एजेंसी पर निष्पक्ष जांच नहीं करने का आरोप लगाया गया था।

By Srishti VermaEdited By: Published: Tue, 03 Oct 2017 12:04 PM (IST)Updated: Tue, 03 Oct 2017 02:58 PM (IST)
बेटी की निजी जिंदगी में पिता को तानाशाही का अधिकार नहींः सुप्रीम कोर्ट
बेटी की निजी जिंदगी में पिता को तानाशाही का अधिकार नहींः सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली (जेएनएन)। केरल राज्य के लव-जिहाद मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने लड़की के पिता को नसीहत देते हुए कहा कि उसे अपनी बेटी की निजी जिंदगी में दखलंदाज़ी देने का अधिकार नहीं है। कोर्ट के मुताबिक लड़की की उम्र 24 वर्ष है।

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ऐसे में उसे अपने भविष्य के बारे में फैसला करने का पूरा अधिकार है। दरअसल केरल की हिंदू लड़की के एक मुस्लिम लड़के से शादी करने के मुद्दे को लव-जिहाद बताया गया। मामले में लड़की पिता ने खुद केरल हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और आरोप लगाया कि उनकी बेटी का ब्रेनवॉश करके लव-जिहाद के जाल में फंसाया गया।

मामले में हाईकोर्ट ने शादी को खारिज कर दिया। मामले के सुप्रीम कोर्ट में आने पर एनआईए को लव-जिहाद की संभावनाओं को तलाशने का निर्देश दिया गया। मामले की अगली सुनवाई के लिए 9 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की गयी है।

मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र की पीठ ने कहा कि मुद्दा लव-जिहाद का है या नहीं यह अलग मुद्दा है। लेकिन क्या हाईकोर्ट के पास शादी को खारिज करने का अधिकार है। पीठ ने मामले की एनआईए जांच करने के आदेश देने के मुद्दे पर सवाल खड़ा किया। बता दें कि इससे पहले मुख्य न्यायाधीश रहे जेएस खेहर की पीठ ने मामले की एनआईए जांच करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने लड़की के ब्रेनवॉश करने की संभालनाओं को तलाशने का निर्देश दिया गया।

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