सुधा भारद्वाज को जमानत देने के आदेश के खिलाफ याचिका पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट सुधा भारद्वाज को तकनीकी खामी के आधार पर जमानत देने के बांबे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर एनआइए की याचिका पर तत्काल सुनवाई के प्रतिवेदन पर विचार करेगा। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका पर अदालत ने सहमति दी है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सामाजिक अधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज (Sudha Bharadwaj) को तकनीकी खामी के आधार पर जमानत देने के बांबे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (National Investigation Agency, NIA) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट तत्काल सुनवाई के प्रतिवेदन पर विचार करेगा। बता दें कि भारद्वाज (Sudha Bharadwaj) को एल्गार परिषद-माओवादीसंबंध मामले में गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (यूएपीए) के प्रविधानों के तहत अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था।
सोमवार को सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका पर तत्काल सुनवाई का आग्रह किया तो प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि हम मामले को देखेंगे। सालिसिटर जनरल ने कहा कि यह तकनीकी खामी के आधार पर जमानत देने का मामला है। यह आठ दिसंबर से प्रभावी होगा इसलिए मामले की तत्काल सुनवाई की जरूरत है।
एनआईए ने सुधा भारद्वाज (Sudha Bharadwaj) को जमानत देने के बाम्बे हाईकोर्ट आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। बाम्बे हाईकोर्ट ने एक दिसंबर को अपने आदेश में कहा था कि सरकार को अपदस्थ करने की साजिश का हिस्सा रही भारद्वाज (Sudha Bharadwaj) जमानत की हकदार हैं। भारद्वाज (Sudha Bharadwaj) को जमानत देने से इनकार करना संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत प्राप्त जीवन और व्यक्तिगत आजादी के उनके मूल अधिकारों का हनन है।
गौरतलब है कि भारद्वाज (Sudha Bharadwaj) को जमानत देने के बांबे हाई कोर्ट आदेश के खिलाफ एनआइए ने शीर्ष कोर्ट में याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने एक दिसंबर को भारद्वाज को जमानत दी थी। उनके खिलाफ मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के एल्गार परिषद कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है। पुलिस का दावा है कि भड़काऊ बयानों के कारण इसके अगले दिन पुणे के बाहरी इलाके कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़की। पुलिस का यह भी दावा है कि इस कार्यक्रम को माओवादियों का समर्थन हासिल था।