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वकीलों के वित्तीय संकट का सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया, वकीलों को आसान कर्ज देने की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को संज्ञान लेते हुए वकीलों को राहत मुहैया कराने के लिए कोष स्थापित करने के बारे में केंद्र और सभी बार संगठनों से जवाब मांगा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 11:26 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 02:56 AM (IST)
वकीलों के वित्तीय संकट का सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया, वकीलों को आसान कर्ज देने की मांग
वकीलों के वित्तीय संकट का सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया, वकीलों को आसान कर्ज देने की मांग

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी की वजह से देश में अदालतों का कामकाज सीमित होने के कारण वकीलों के सामने वित्तीय संकट का बुधवार को संज्ञान लेते हुए वकीलों को राहत मुहैया कराने के लिए कोष स्थापित करने के बारे में केंद्र और सभी बार संगठनों से जवाब मांगा। वित्तीय संकट का सामना कर रहे वकीलों को आसान कर्ज उपलब्ध कराने सहित वित्तीय सहायता के लिए वकीलों की शीर्ष संस्था बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है।

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चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी.रामासुब्रमण्यन की पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। पीठ ने सुनवाई शुरू होते ही बीसीआइ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा से कहा कि कोर्ट जरूरतमंद वकीलों से संबंधित मुद्दों को खुद ही लेना चाहता है। इसके साथ ही उसने केंद्र, बीसीआई और राज्यों के बार काउंसिल और बार एसोसिएशनों को नोटिस जारी किये। इन सभी से दो सप्ताह में जवाब मांगा गया है।

केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता और बीसीआइ की ओर से मिश्रा ने नोटिस स्वीकार किए। शीर्ष अदालत ने विभिन्न हाई कोर्ट में इसी तरह की लंबित याचिकाओं के सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरण के लिए बीसीआई की ओर से दायर याचिका पर भी नोटिस जारी किया।

पीठ ने कहा कि सभी राज्य बार काउंसिल और बार एसोसिएशनों को प्रत्येक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से नोटिस जारी किये जायें। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अपनी याचिका में केंद्र और राज्यों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया है कि वे बार काउंसिल में पंजीकृत वकीलों को तीन लाख रुपए तक ब्याज रहित ऋण मुहैया कराएं। याचिका में कहा गया है कि राज्य बार काउंसिल के माध्यम से वितरित किए जाने वाले इस ऋण की अदायगी अदालतों में सामान्य तरीके से कामकाज शुरू होने के बाद कम से कम 12 किस्तों में की जायेगी।


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