SC ने नवाब सालार जंग-तृतीय के संपत्ति विवाद का लिया संज्ञान, याचिकाकर्ताओं को तेलंगाना HC जाने को कहा
दिवंगत नवाब के प्रत्यक्ष वंशज और उत्तराधिकारियों द्वारा दायर याचिका सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आई थी। नवाब का मार्च 1949 में निधन हो गया था। कोर्ट ने नवाब की संपत्ति से संबंधित वाद 1958 से लंबित रहने को संज्ञान में लिया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। नवाब मीर यूसुफ अली खान सालार जंग-तृतीय की संपत्ति विवाद के 62 साल पुराने मामले में उनके उत्तराधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह सरकार को संपत्ति उनके हक में देने का आदेश जारी करें। सुप्रीम कोर्ट ने नवाब की संपत्ति से जुड़े छह दशक से भी अधिक समय से लंबित इस मामले का संज्ञान लेते हुए कहा कि वर्ष 1958 के मामले पर याचिकाकर्ता सैयद जाहिद अली और अन्य को तेलंगाना हाई कोर्ट जाने को कहा है।
शीर्ष अदालत ने नवाब की संपत्ति से संबंधित वाद 1958 से लंबित रहने को संज्ञान में लिया और याचिकाकर्ताओं सैयद जाहिद अली और अन्य से कहा कि वे तेलंगाना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटायें। शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय 'समयबद्ध तरीके से' इसके निपटारे के लिए उचित निर्देश पारित कर सकता है। दिवंगत नवाब के प्रत्यक्ष वंशज और उत्तराधिकारियों द्वारा दायर याचिका सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आई थी। नवाब का मार्च 1949 में निधन हो गया था। याचिकाकर्ताओं के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ को मामले की पृष्ठभूमि के साथ-साथ वाद 1958 से हाई कोर्ट के समक्ष लंबित रहने की जानकारी दी।
पीठ ने कहा, 'हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस रिट याचिका पर सुनवाई करने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकि, हमारा मानना है कि याचिकाकर्ताओं के लिए यह उचित होगा कि उन्होंने जिस राहत का अनुरोध किया है वे उसके लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 के तहत उच्च न्यायालय की शक्तियों के इस्तेमाल का अनुरोध करें।' सुनवाई वीडियो-कांफ्रेंस के जरिये हुई। इस दौरान, सिंघवी ने पीठ को अदालतों द्वारा पारित विभिन्न आदेशों सहित मामले के विवरण के बारे में बताया और कहा कि इनमें से एक वाद 1958 से लंबित है। पीठ ने कहा, 'हमें लगता है कि आपको तेलंगाना उच्च न्यायालय जाना चाहिए।'