कोरोना के कारण मिड डे मील बंद होने पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, सभी राज्यों को नोटिस जारी
कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपना कामकाज और सीमित करने का निर्णय लिया है। गुरुवार को सिर्फ चार अदालतें ही बैठेंगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना के कारण स्कूल और आंगनवाड़ी केन्द्रों के बंद होने से स्कूली बच्चों का मिड डे मील और आंगनवाड़ी से पोषाहार लेने वाली माताओं बच्चों का पोषाहार बंद हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने माताओं बच्चों का पोषाहार बंद होने पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सभी राज्यों को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब मांगा है। कोर्ट ने राज्यों से कहा है कि वे कोरोना वायरस फैलने से रोकने के दौरान बच्चों और माताओं को पोषाहार मिलना सुनिश्चित करें ताकि बच्चों और माताओं पर बुरा असर न पड़े।
बच्चों और माताओं को मिलने वाला पोषाहार बंद हो गया
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, बीआर गवई और सूर्यकांत की पीठ ने ये आदेश बुधवार को मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए दिये। कोर्ट ने कहा कि कोराना वायरस फैलने से रोकने के लिए ज्यादातर राज्यों ने स्कूल और आंगनवाड़ी केन्द्र बंद कर दिये हैं। कोर्ट ने कहा कि मिड डे मील और आंगनवाड़ी केन्द्रों में पोषाहार वितरण के जरिये स्कूली बच्चों और छोटे शिशुओं और दूध पिलाने वाली माताओं को पोषण मिलता है। इसके बंद होने से उन लोगों का पोषाहार बंद हो गया है। कुछ जिलों में मातापिता को आंगनवाड़ी केन्द्रों से पोषाहार एकत्र करने को कहा गया है।
एक सप्ताह में बच्चों-माताओं को पोषाहार सुनिश्चत करने की नीति बताने को कोर्ट ने राज्यों से कहा
कोर्ट ने कहा कि पोषाहार बंद होने से विशेषकर ग्रामीण और जनजातीय इलाकों में बच्चों और माताओं का पोषण प्रभावित होगा। वे कुपोषण का शिकार होंगे जिसके कारण उनके संक्रमित होने की ज्यादा आशंका है। कोर्ट ने कहा कि स्थिति ज्यादा परेशानी वाली न बन जाए इसके लिए जरूरी है कि सभी राज्य कोराना वायरस रोकने के उपायों के दौरान बच्चों और माताओं को पोषाहार उपलब्ध कराना सुनिश्चित करने के लिए एक यूनीवर्सल नीति बनाएं। कोर्ट ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से इस बारे में एक सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े को मामले की सुनवाई में मदद करने के लिए न्यायमित्र भी नियुक्त किया।
सुप्रीम कोर्ट और सीमित करेगा कामकाज, सिर्फ चार अदालतें ही बैठेंगी
कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपना कामकाज और सीमित करने का निर्णय लिया है। गुरुवार को सिर्फ चार अदालतें ही बैठेंगी। मालूम हो कि कोराना के खतरे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही काफी एतिहाती उपाय अपनाए हुए हैे।
हम वायरस से नहीं लड़ सकते- जस्टिस अरुण मिश्रा
बुधवार को जस्टिस अरुण मिश्रा ने कोराना महामारी से बचाव के लिए सजग रहने की नसीहत देते हुए कहा कि यह महामारी है हर सौ साल में होती है। हम घोर कलयुग में हैं हम वायरस से फाइट नहीं कर सकते। इस पर बहस के लिए कोर्ट में मौजूद वरिष्ठ वकील ए. सुन्दरम ने कहा कि ये प्रकृतिक है ताकतवर कमजोर को मार देता है। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि मनुष्य कुछ भी कर सकता है। बडे़ हथियार बना सकता है, लेकिन वो वायरस से नहीं लड़ सकता। सरकार पर निर्भर नहीं रहना है अपनी तरफ से बचाव के उपाय करने होंगे। कोर्ट ने ये टिप्पणी सुन्दरम के पांच वकीलों के साथ बहस के लिए कोर्ट मे आने पर पीठ ने टिप्पणी करते हुए कही। कोर्ट इशारा था कि भीड़ नहीं एकत्र होनी चाहिए। उन्हें एक वकील के ही साथ आना चाहिए था।