सोशल डिस्टेंसिंग को SC का समर्थन, कहा- वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए सभी हाई कोर्ट करें सुनवाई
कोविड-19 के खिलाफ एहतियात व बचाव के तौर पर सोशल डिस्टेंसिंग को अहम बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्टों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की अनुमति दी है।
नई दिल्ली, माला दीक्षित। कोराना वायरस महामारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 'सोशल डिस्टेंसिंग' को अहम बताया। कोर्ट ने कहा, 'कोरोना महामारी को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है।' सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करने और सुनवाई के नियम तय करने का अधिकार दिया। इसके अलावा निचली अदालतों के लिए भी कुछ निर्देश जारी किए हैं।
कोरोना वायरस की महामारी को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च को पूरे देश में लॉकडाउन का ऐलान किया था जो 14 अप्रैल तक जारी रहेगा। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में आज वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस एल नागेश्वर राव व जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने अदालतो में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई का हाई कोर्ट को अधिकार दिया है। बता दें कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में पहली बार वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कैबिनेट की बैठक हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए देश के सभी अदालतों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करने का अधिकार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि काम की प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत है। कोर्ट ने आगे बताया कि यह प्रक्रिया भविष्य में भी लागू हो सकती है। कोर्ट ने सेक्रेटरी जनरल, DG NIC, हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल को मिलकर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के लिए दिशानिर्देश तैयार करने को कहा है।
चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने जोर देते हुए कहा कि तकनीक यहां रहने के लिए है और महामारी को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है और यह आवश्यक है कि कोर्ट इस महामारी को फैलने में सहायक न बने।
कोर्ट में सुनवाई की प्रक्रिया को जारी रखने के लिए सीनियर एडवोकेट व सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विकास सिंह द्वारा लिखे गए पत्र पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया। पत्र में सुनवाई के लिए टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया था।