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चेक बाउंस मामलों के शीघ्र ट्रायल पर सुप्रीम कोर्ट ने किया हाई कोर्टों और राज्यों से जवाब तलब

पीठ ने अंतरिम आदेश में कहा इन हालात में विभिन्न राज्यों के न्याय प्रशासन के लिए मामले की अहमियत के मद्देनजर हमारा विचार है कि हाई कोर्टो को अपने रजिस्ट्रार जनरल और राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को पुलिस महानिदेशकों के जरिये चार हफ्तों के अंदर जवाब दाखिल करने होंगे।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 06:32 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 06:32 PM (IST)
चेक बाउंस मामलों के शीघ्र ट्रायल पर सुप्रीम कोर्ट ने किया हाई कोर्टों और राज्यों से जवाब तलब
चेक बाउंस मामलों के शीघ्र ट्रायल पर सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, एएनआइ। चेक बाउंस मामलों के शीघ्र ट्रायल पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को विभिन्न हाई कोर्टो, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को चार हफ्तों में अपने जबाव दाखिल करने के निर्देश दिए। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ चेक बाउंस मामलों के शीघ्र ट्रायल पर अपने स्वत: संज्ञान वाले मामले पर नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा-138 के तहत सुनवाई कर रही थी।

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शीर्ष अदालत ने दिया चार हफ्तों का समय

पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा, 'इन हालात में, विभिन्न राज्यों के न्याय प्रशासन के लिए मामले की अहमियत के मद्देनजर हमारा विचार है कि हाई कोर्टो को अपने रजिस्ट्रार जनरल और राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को अपने पुलिस महानिदेशकों के जरिये चार हफ्तों के अंदर जवाब दाखिल करने होंगे।' प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में विभिन्न हाई कोर्टो से इस मामले को गंभीरता से लेने के लिए कहा था। 25 हाई कोर्टो में से 14 ने संबंधित रिपोर्टे दाखिल की हैं जबकि 11 ने चेक बाउंस मामलों के त्वरित निपटारे और ट्रायल से जुड़ी मसौदा योजना दाखिल की हैं।

पशु क्रूरता कानून के प्रविधानों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टली

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बफेलो ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन की उस याचिका पर सुनवाई कुछ हफ्तों के लिए स्थगित कर दी जिसमें पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम के तहत कुछ प्रविधानों की वैधता को चुनौती दी गई है। एसोसिएशन ने इस मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए कुछ समय देने की मांग की थी। पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा था कि पशु क्रूरता रोकथाम (केस प्रापर्टी पशुओं की देखभाल एवं रखरखाव) नियमों, 2017 में पशु मालिक को दोषी ठहराए जाने से पूर्व ही पशुओं की जब्त करने की अनुमति दी गई है जो पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम, 1960 के प्रविधानों के विपरीत है।


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