कानपुर शेल्टर होम में कोरोना वायरस के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने UP सरकार से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता गौरव अग्रवाल को एमिकस क्यूरिया के रूप में नियुक्त किया है।
नई दिल्ली, माला दीक्षित। उत्तर प्रदेश के कानपुर शेल्टर होम में 50 से अधिक नाबालिग लड़कियों के कोरोना संक्रमित होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई की। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने सरकार को इस मामले में हलफनामा दाखिल करने को कहा है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने आश्रय गृहों में COVID19 से बच्चों की सुरक्षा से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए अधिवक्ता गौरव अग्रवाल को एमिकस क्यूरिया के रूप में नियुक्त किया है।
मामले की सुनवाई अब 13 जुलाई को होगी। इसके अलावा बाल सुधार गृह में कोरोना को लेकर कोर्ट ने पंजाब, उत्तराखंड और त्रिपुरा को भी 10 जुलाई तक जवाब अपना दाखिल करने को कहा है।
बता दें कि पिछले महीने के अंत में उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित राजकीय बालिका गृह केस में योगी सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी अजीत कुमार और संवासिनी गृह की अधीक्षिका मिथलेश पाल को सस्पेंड कर दिया था। शेल्टर होम मामले में लापरवाही बरतने पर डीपीओ के खिलाफ यह कार्रवाई की गई थी। अनियमितताओं के आरोप में राजकीय बालिका गृह की अधीक्षिका मिथलेश पाल को भी निलंबित किया गया। निलंबन की अवधि में दोनों को महिला कल्याण निदेशालय लखनऊ से संबद्ध किया गया था।
कानपुर स्थित राजकीय बालिका गृह केस में उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर के जिला प्रोबेशन अधिकारी को अपने कर्तव्यों के निर्वहन में असफल रहने और सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही गलत सूचना का मुकाबला नहीं करने के लिए निलंबित कर दिया है। पिछले दिनों कानपुर में स्वरूपनगर स्थित संवासिनी गृह में 57 संवासिनियां कोरोना संक्रमित और इनमें पांच संवासिनियां गर्भवती पाई गई थीं। इसको लेकर प्रमुख विपक्षी दलों ने भी सरकार को घेरा था। इस मामले में योगी सरकार ने शुक्रवार को कानपुर के जिला प्रोबेशन अधिकारी अजीत कुमार व अधीक्षिका मिथिलेश पाल को निलंबित कर दिया।