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सुप्रीम कोर्ट ने माडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट पर केंन्द्र सरकार से दो हफ्ते में मांगा जवाब

मामले पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से पेश वकील मेनका गुरुस्वामी ने कोर्ट को बताया कि यह मामला रेरा कानून की धारा 41 व 42 से संबंधित है जिसमें केंद्र सरकार के पास नियम बनाने का अधिकार है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 08:45 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 08:45 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने माडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट पर केंन्द्र सरकार से दो हफ्ते में मांगा जवाब
कोर्ट की टिप्पणी - माडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट तैयार किया जाना जनहित में है

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश के लिए एक समान माडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट लागू करने के मुद्दे पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने सोमवार को माडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट की मांग से सहमति जताते हुए कहा कि माडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट तैयार किया जाना जनहित में है। कोर्ट ने सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह सरकार से निर्देश लेकर दो सप्ताह में कोर्ट को बताएं। कोर्ट ने कहा कि ये मध्यमवर्गीय होम बायर्स के हित की बात है।

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मामले पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से पेश वकील मेनका गुरुस्वामी ने कोर्ट को बताया कि यह मामला रेरा कानून की धारा 41 व 42 से संबंधित है जिसमें केंद्र सरकार के पास नियम बनाने का अधिकार है। उन्होंने कहा लेकिन केंद्र सरकार ने दाखिल जवाब में कहा है कि इसमें उसकी कोई भूमिका नहीं है।

सालिसिटर जेनरल तुषार मेहता इस मामले को लेकर थोड़े अनभिज्ञ दिखे। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए कोर्ट इसे सुन रहा है। यह जनहित से जुड़ा मुद्दा है। सेंट्रल एडवाइजरी कमेटी को शक्ति है माडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट बनना चाहिए। पूरे देश के लिए समान बिल्डर बायर एग्रीमेंट होना चाहिए। अभी बिल्डर जो चाहते हैं एग्रीमेंट में लिख लेते हैं। ये मध्यमवर्गीय होम बायर के हित की बात है।

कोर्ट ने कहा कि वह ये नहीं बता रहा कि माडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट का प्रारूप क्या हो उसमें क्या शर्तें हों। प्रारूप और शर्तें सरकार तय कर सकती है लेकिन एक समान माडल होना चाहिए। सालिसिटर जनरल ने कहा कि उन्हें दो सप्ताह का समय दिया जाए वे सरकार से निर्देश लेकर बताएंगे।

याचिकाकर्ता अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि मौजूदा समय में 50-60 पेज का बिल्डर बायर एग्रीमेंट होता है और उसमें यह नहीं बताया जाता है कि कितनी मोटी सरिया लगाई जाएगी? कैसे टाइल्स लगाए जाएंगे? इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि एग्रीमेंट में इतना ब्योरा नहीं हो सकता एक मोटा मोटा प्रारूप होता है। उपाध्याय ने कहा कि एग्रीमेंट 15- 20 पेज से ज्यादा का नहीं होना चाहिए और दो भाषाओं में होने चाहिए। अभी सारे एग्रीमेंट अंग्रेजी में होते हैं और ज्यादातर लोगों को अंग्रेजी नहीं आती। कोर्ट ने कहा कि यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, माडल एग्रीमेंट तैयार हो जाए तो उसका आधिकारिक भाषा में अनुवाद हो सकता है।


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