चारधाम हाइवे प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने जवाब और आपत्तियां मांगीं, सड़क चौड़ी करने की हुई है सिफारिश
चारधाम हाइवे प्रोजेक्ट (Chardham highway project) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को संबधित पक्षों से जवाब और आपत्तियां मांगीं हैं। उत्तराखंड के इस प्रोजेक्ट (Chardham project) में चीन सीमा तक सड़कों को चौड़ा करने की योजना है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। चारधाम हाइवे प्रोजेक्ट (Chardham highway project) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को संबधित पक्षों से जवाब और आपत्तियां मांगीं हैं। उत्तराखंड के इस प्रोजेक्ट (Chardham project) में चीन सीमा तक सड़कों को चौड़ा करने की योजना है। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 900 किलोमीटर की इस परियोजना में उत्तराखंड (Uttarakhand) के चार धार्मिक स्थलों गंगोत्री, यमुनोत्री केदारनाथ और बद्रीनाथ को आल वेदर सड़क से जोड़ना है।
केंद्र ने इस संबंध में उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट कोर्ट को सौंपते हुए इसे मंजूर करने की गुहार लगाई है। रिपोर्ट में 21 सदस्यों ने इस सड़क को दोनों तरफ पेव्ड शोल्डर सहित दो लेन (10 मीटर चौड़ाई) में बदलने की सिफारिश की है। इस मामले में एक एनजीओ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्वेस ने कहा कि वे इस रिपोर्ट पर कुछ और दस्तावेज पेश करना चाहते हैं। इस पर जस्टिस आर.एफ.नरीमन, केएम जोसेफ और अजय रस्तोगी की पीठ ने सुनवाई 27 जनवरी तक टाल दी।
केंद्र ने अपने हलफनामे में बताया कि कोर्ट के गत दो दिसंबर के निर्देश पर उच्च स्तरीय समिति के सदस्यों ने 15-16 दिसंबर को इस प्रोजेक्ट पर गहन चिंतन कर अपनी राय दी। यह रिपोर्ट कोर्ट को 31 दिसंबर को सौंप दी गई थी। सड़क की चौड़ाई को लेकर समिति में शामिल सदस्यों की राय अलग-अलग रही।
21 सदस्यों ने इंडियन रोड कांग्रेस : 52-2019 के प्रविधानों के तहत सड़क को पेव्ड शोल्डर के साथ टूलेन करने की सिफारिश की है। वहीं समिति के अध्यक्ष रवि चोपड़ा समेत तीन सदस्यों का मानना है कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के 23 मार्च, 2018 के सर्कुलर के अनुसार सड़क 5.5 मीटर ही चौड़ी रखी डा सकती है। केंद्र ने कहा कि बहुमत वाली रिपोर्ट में सदस्यों ने क्षेत्र की आर्थिक और रणनीतिक जरूरतों के साथ पर्यावरण संरक्षण संबंधी चिंताओं का भी पूरा ध्यान रखा है।
केंद्र ने कहा कि परियोजना के प्रस्तावक पर्यावरण को कम से कम नुकसान होने और संवेदनशील हिमालय घाटी में कम से कम भूस्खलन सुनिश्चित करने को दायित्वबद्ध हैं। कोर्ट से विनम्र निवेदन है कि वह समिति के बहुसंख्यक सदस्यों वाली रिपोर्ट को मंजूरी दे। इस संबंध में कोर्ट कोई निर्देश देता है तो प्रोजेक्ट के प्रस्तावक और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय उसे पूरा करने के लिए दायित्वबद्ध है।