सुप्रीम कोर्ट ने पीजी मेडिकल कोर्स में 100 फीसद डोमिसाइल आरक्षण के मसले पर मध्य प्रदेश सरकार और एमसीआइ से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (Medical Council of India MCI) को नोटिस जारी कर पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कोर्स में राज्य के मूल निवासी छात्रों के लिए 100 फीसदी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर उनसे जवाब मांगा है।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (Medical Council of India, MCI) को नोटिस जारी कर पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कोर्स में राज्य के मूल निवासी छात्रों के लिए 100 फीसद आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर उनसे जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने मध्य प्रदेश के निजी मेडिकल कालेजों की ओर से दायर याचिका पर शुक्रवार को शिवराज सरकार और एमसीआई को नोटिस जारी किया। राज्य में निजी मेडिकल कालेजों के संघ ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें अदालत ने राज्य सरकार के 'प्रवेश नियम 2018' को रद करने से इनकार कर दिया था।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में अपने फैसले में प्रवेश नियमों को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा इस आधार पर किया था कि इसी से मिलता जुलता मुद्दा शीर्ष अदालत की बड़ी पीठ के समक्ष लंबित है। ऐसे में इस मामले का फैसला करना उच्च न्यायालय के लिए उपयुक्त नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में निजी गैर-सहायता प्राप्त मेडिकल कालेजों पर लागू होने वाले नियमों को चुनौती दी गई है। अपील में निजी गैर-सहायता प्राप्त मेडिकल कालेजों को अखिल भारतीय मेरिट सूची के आधार पर सीटें भरने की अनुमति दिए जाने का निर्देश देने की मांग की गई है।
यही नहीं याचिका में राज्य सरकार को शैक्षणिक वर्ष 2021-2022 के लिए स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए कराई जाने वाली काउंसलिंग को रोकने के लिए निर्देश दिए जाने की अपील की गई है। बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार ने निजी मेडिकल और डेंटल कालेजों में प्रवेश के लिए अपने प्रवेश नियमों में राज्य के मूल निवासी होने की अनिवार्य पात्रता शर्तों को शामिल किया है।