सोन चिरैया और खरमोर जैसे विलुप्त हो रहे पक्षियों के लिए सुप्रीम कोर्ट चिंतित, जानें क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने सोन चिरैया और खरमोर जैसे विलुप्त प्राय पक्षियों की रक्षा के लिए धन जुटाने के साधनों और भूमिगत केबिल बिछाने के बारे में अटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से अपने विचार व्यक्त करने के लिए कहा है। जानें पूरा मामला...
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने सोन चिरैया व खरमोर जैसे विलुप्त प्राय: पक्षियों की रक्षा के लिए धन जुटाने के साधनों और भूमिगत केबिल बिछाने के बारे में अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से अपने विचार व्यक्त करने के लिए कहा है। सर्वोच्च अदालत ने वेणुगोपाल से पूछा है कि वह इसके वाणिज्यिक पहलुओं पर विचार करें। साथ ही कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिल्टी (सीएसआर) के जरिये भूमिगत केबिलें बिछाने के लिए धन जुटाने की व्यवस्था की जाए।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी. रामासुब्रह्मण्यम की खंडपीठ ने कहा कि वह दो हफ्ते बाद इस मामले को विस्तार से सुनेंगे और तभी वेणुगोपाल से अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है। खंडपीठ ने कहा कि हर कोई सब जगहों पर भूमिगत केबिलें बिछाने की बात करता है लेकिन कोई यह नहीं बताता कि इसकी लागत क्या है और यह कौन करेगा। इन बातों को लेकर अदालत चिंतित है।
किसी को इस बारे में असल लागत और ब्योरों की पूरी जानकारी देनी चाहिए। सर्वोच्च अदालत सोन चिरैया व खरमोर जैसे विलुप्त प्राय: पक्षियों की सुरक्षा के लिए बर्ड-डायवर्टर लगाने और भूमिगत केबिलें बिछाने संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता एमके रंजीत सिंह के वकील श्याम दीवान कहा कि उन्होंने अदालत के आदेशानुसार एक रंगीन मानचित्र अदालत को सौंप दिया है।
इस पर वेणुगोपाल ने कहा कि उनके पास इस नक्शे की प्रति नहीं है। इस पर खंडपीठ ने वेणुगोपाल को नक्शा उपलब्ध कराने को कहा। पीठ ने अटार्नी जनरल और याचिकाकर्ता से कहा कि वह भूमिगत केबिल बिछाने के लिए फंड जुटाने के उपाय बताएं। पिछले साल 15 दिसंबर को सर्वोच्च अदालत ने अटार्नी जनरल से इस विषय में सहायता मांगते हुए कहा था कि वह वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के कार्यक्षेत्र को बढ़ाने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं। वेणुगोपाल ने उन्हें इस मामले में सीधा दखल देने का आश्वासन दिया है।