Move to Jagran APP

सीबीएसई मूल्यांकन योजना अंतिम, कोर्ट की स्वीकृति के बाद याचिकाकर्ताओं को चुनौती देने की अनुमति नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि कोरोना के कारण 12वीं कक्षा के जिन छात्रों की परीक्षा रद हुई थी उनके अंकों के आकलन की केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Central Board of Secondary Education CBSE) की योजना अंतिम हो चुकी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 06 Dec 2021 10:57 PM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 10:57 PM (IST)
सीबीएसई मूल्यांकन योजना अंतिम, कोर्ट की स्वीकृति के बाद याचिकाकर्ताओं को चुनौती देने की अनुमति नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि अंकों के आकलन की CBSE की योजना 'अंतिम हो' चुकी है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि कोरोना के कारण 12वीं कक्षा के जिन छात्रों की परीक्षा रद हुई थी उनके अंकों के आकलन की केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Central Board of Secondary Education, CBSE) की योजना 'अंतिम हो' चुकी है। उस पर शीर्ष अदालत की स्वीकृति की मुहर भी लग गई है। शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने कहा कि वह सीबीएसई की योजना को फिर नहीं खोलेगी और उन याचिकाकर्ताओं को भी इसे चुनौती देने की अनुमति नहीं है, जिन्हें इस योजना और अंकों के मूल्यांकन को लेकर शिकायत है।

loksabha election banner

जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील से कहा कि जहां तक फार्मूले का सवाल है, हम इसे बहुत स्पष्ट कर रहे हैं कि यह अंतिम हो चुका है। हम उस मुद्दे को फिर से नहीं खोलेंगे।

शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने कहा कि याचिकाकर्ता सीबीएसई (Central Board of Secondary Education, CBSE) द्वारा तैयार की गई योजना में निर्धारित अनुपात पर सवाल उठा रहे हैं, जिसे शीर्ष अदालत (Central Board of Secondary Education, CBSE) की मंजूरी मिल गई है और पुनर्विचार के लिए इसी तरह की दलीलें पहले खारिज कर कर दी गई थीं।

याचिका का निस्तारण करते हुए, पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता इस संबंध में प्राधिकार के समक्ष अपने प्रतिनिधित्व को आगे बढ़ाएंगे और उस पर निर्णय अंतिम रूप दी गई योजना के तहत उसके गुणदोष के आधार पर लिया जाएगा। 

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की पीठ ने कहा कि दूसरे शब्दों में, याचिकाकर्ताओं को अंकों के मूल्यांकन के उद्देश्य से योजना या उसमें निर्धारित अनुपात को चुनौती देने का अधिकार नहीं होगा। इसे बरकरार रखा गया है और पिछले आदेशों में इस अदालत की मंजूरी मिल चुकी है। पीठ ने कहा कि इस आदेश की प्रति प्राप्त होने के तीन हफ्ते के भीतर अभ्यावेदन पर शीघ्रता से निर्णय लिया जाना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.