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'इस तरह तो फैल जाएगी अराजकता', नॉमिनेशन रद्द मामले में SC पहुंचा उम्मीदवार तो CJI चंद्रचूड़ ने की तल्ख टिप्पणी

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने नामांकन पत्र रद्द मामले में कहा कि अगर कोर्ट नॉमिनेशन रद्द होने के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर विचार करना शुरू कर दिया तो अराजकता फैल जाएगी।बिहार के बांका बांका सीट से जवाहर कुमार झा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र दायार किया था।रिटर्निंग ऑफिसर ने उनके नॉमिनेशन को रद्द कर दिया था जिसके बाद उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Published: Fri, 19 Apr 2024 06:02 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2024 06:02 PM (IST)
नॉमिनेशन रद्द मामले में SC पहुंचा उम्मीदवार तो CJI चंद्रचूड़ ने की तल्ख टिप्पणी। फाइल फोटो।

पीटीआई, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में एक निर्दलीय उम्मीदवार के नामांकन पत्र रद्द होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर कोर्ट  नॉमिनेशन रद्द होने के खिलाफ दायर की गई  याचिकाओं पर विचार करना शुरू कर दिया तो अराजकता फैल जाएगी।

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कोर्ट ने याचिका को किया खारिज

कोर्ट ने यह कड़ी टिप्पणी बिहार के एक व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए की। दरअसल, बिहार के बांका बांका सीट से जवाहर कुमार झा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र दायर किया था। हालांकि,  रिटर्निंग ऑफिसर ने उनके नॉमिनेशन को रद्द कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने आरओ पर मनमाने और दुर्भावनापूर्ण रवैया पर अंकुश लगाने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

सुनवाई पर कोर्ट ने क्या कहा?

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि अगर हम नामांकन पत्रों की अस्वीकृति के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिकाओं पर विचार करना शुरू कर देंगे तो अराजकता होगी। कोर्ट ने कहा कि आपको चुनाव कानून के अनुशासन का पालन करना होगा। पीठ ने कहा कि उम्मीदवार के नामांकन पत्र रद्द के खिलाफ दायर याचिका पर हम सुनवाई के इच्छुक नहीं है।

याचिकाकर्ता ने की थी अतिरिक्त समय देने की मांग

याचिकाकर्ता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए अपनी याचिका में कहा कि किसी विशिष्ट परिभाषा के अभाव में आरओ अक्सर कई उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों को पूरी तरह से मनमाने तरीके से खारिज कर देते हैं। याचिकाकर्ता ने देश भर के आरओ को निर्देश देने की भी मांग की थी कि चुनाव नामांकन पत्रों में चिह्नित किसी भी गलती को ठीक करने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार को कम से कम एक दिन का अनिवार्य रूप से समय दिया जाए।

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