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सुप्रीम कोर्ट की दो-टूक, न्यायिक व्यवस्था में आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों के लिए नहीं होनी चाहिए जगह

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायिक वितरण प्रणाली में जनता के विश्वास के निर्माण में जजों की साख अहम है। उच्चतम नैतिक आधार रखने वाले जज न्यायिक व्यवस्था में जनता के भरोसे को कायम रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 07:44 PM (IST)Updated: Sat, 25 Sep 2021 07:54 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट की दो-टूक, न्यायिक व्यवस्था में आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों के लिए नहीं होनी चाहिए जगह
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायिक वितरण प्रणाली में जनता के विश्वास के निर्माण में जजों की साख अहम है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। न्यायिक वितरण प्रणाली में जनता के विश्वास के निर्माण में जजों की साख अहम है। उच्चतम नैतिक आधार रखने वाले जज न्यायिक व्यवस्था में जनता के भरोसे को कायम रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। एक न्यायिक अधिकारी की साख और पृष्ठभूमि के बारे में आम आदमी की धारणा महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की।

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जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि न्यायिक व्यवस्था में किसी भी स्तर पर एक न्यायिक अधिकारी का पद बहुत अहम होता है। इसलिए उपयुक्त व्यक्तियों की ही न्यायिक अधिकारी के पद पर नियुक्ति होनी चाहिए। आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को न्यायपालिका से दूर रखा जाना चाहिए।

पीठ राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाई कोर्ट ने सिविल जज के पद पर आवेदन करने वाले एक उम्मीदवार की याचिका स्वीकार ली थी, जबकि निचली अदालतों में जजों की नियुक्ति संबंधी हाई कोर्ट की एक समिति ने कहा था कि उम्मीदवार के खिलाफ अपराध गंभीर प्रकृति के थे और दोषमुक्त साफ नहीं थी। इसके बाद उसकी उम्मीदवारी खारिज कर दी थी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि सिविल जज या मजिस्ट्रेट का पद महत्वपूर्ण स्थान रखता है, क्योंकि देश की निचली अदालतों में बड़ी संख्या में विवाद के मामले आते हैं।

पीठ ने 16 सितंबर को दिए अपने फैसले में कहा न्यायपालिका में किसी भी स्तर पर न्यायिक अधिकारी के पद पर सबसे उपयुक्त व्यक्ति की नियुक्ति होनी चाहिए। इसकी वजह स्पष्ट है। न्यायाधीश राज्य के सबसे महत्वपूर्ण कार्यो में से एक नागरिकों से जुड़े विवाद के मामलों का समाधान करते हैं। उच्चतम नैतिक आधार वाले जज न्यायिक व्यवस्था में लोगों के भरोसे को बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।

पीठ ने कहा कि इस मामले में उम्मीदवार के खिलाफ कई एफआइआर दर्ज की गई थीं। उनमें से दो में आरोपपत्र दाखिल किया गया था। यह सही है कि उम्मीदवार दोषमुक्त हो गया था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उसके खिलाफ कोई सुबूत नहीं था। इसके साथ ही पीठ ने राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया।

क्या था मामला?

राजस्थान हाई कोर्ट, जोधपुर ने नवंबर 2013 में सिविल जज के पद को भरने के लिए आवेदन मांगे थे। उम्मीदवार ने भी आवेदन किया था। जुलाई 2015 में मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित हाई कोर्ट की समिति ने 12 अभ्यर्थियों के आवेदन पर विचार किया। इसमें उक्त उम्मीदवार के आवेदन को नियुक्ति के लिए उपयुक्त नहीं पाया गया। बाद में हाई कोर्ट ने समिति के फैसले के खिलाफ उम्मीदवार के याचिका को स्वीकार कर लिया था। इसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। 


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