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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम नहीं कह सकते कि शाकाहारी रहो या मांसाहारी

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस दिनेश महेश्वरी की पीठ ने कहा कि हलाल सिर्फ पशु वध की एक प्रक्रिया है कुछ लोग झटका करते हैं और कुछ लोग हलाल। पीठ ने याचिकाकर्ता अखंड भारत मोर्चा के वकील से पूछा कि यह समस्या कैसे है?

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 06:15 AM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 06:15 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम नहीं कह सकते कि शाकाहारी रहो या मांसाहारी
खाने के लिए पशुओं के वध पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की (फाइल फोटो)।

नई दिल्ली, आइएएनएस। खाने के लिए पशुओं के वध की 'हलाल' प्रथा को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने याचिका को शरारतपूर्ण बताते हुए कहा कि वह तय नहीं कर सकती कि कौन शाकाहारी रहे या कौन मांसाहारी।

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पशु वध की 'हलाल' प्रथा पर रोक की मांग संबंधी याचिका को शरारतपूर्ण बताकर किया खारिज

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस दिनेश महेश्वरी की पीठ ने कहा कि 'हलाल' सिर्फ पशु वध की एक प्रक्रिया है, कुछ लोग 'झटका' करते हैं और कुछ लोग 'हलाल'। पीठ ने याचिकाकर्ता 'अखंड भारत मोर्चा' के वकील से पूछा कि यह समस्या कैसे है? पीठ ने कहा कि कुछ लोग 'हलाल' का मांस खाना चाहते हैं और कुछ लोग 'झटके' का। 

इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस ने फैसला दिया है कि 'हलाल' बेहद पीड़ादायक है और जानवरों की अपनी आवाज नहीं होती कि वह अदालत तक पहुंच सकें। उन्होंने पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम का जिक्र करते हुए कहा कि उसकी धारा-3 के तहत पशुओं की देखभाल करना हर व्यक्ति का दायित्व है। मामले की संक्षिप्त सुनवाई के बाद पीठ ने याचिका खारिज कर दी।


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