सुप्रीम कोर्ट ने कहा- किसी को चिकित्सा व कानूनी शिक्षा का मजाक बनाने की इजाजत नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी के लिए यह पैसा बनाने का साधन हो सकती है, लेकिन अदालत सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता के प्रति चिंतित है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि देश में किसी को भी चिकित्सा और कानूनी शिक्षा का मजाक बनाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी कि जो भी चिकित्सा और कानूनी शिक्षा की गुणवत्ता से खिलवाड़ करेगा, उसके खिलाफ बेहद सख्त कार्रवाई की जाएगी।
खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ की जाएगी बेहद सख्त कार्रवाई
जस्टिस एसए बोब्दे और दीपक गुप्ता की पीठ ने उक्त टिप्पणी तब की जब मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) के वकील विकास सिंह ने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद उसे उत्तर प्रदेश के एक मेडिकल कॉलेज में निरीक्षण की इजाजत नहीं दी जा रही।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी के लिए यह पैसा बनाने का साधन हो सकती है, लेकिन अदालत सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता के प्रति चिंतित है। शिक्षा की गुणवत्ता से खिलवाड़ करने वालों के प्रति अदालत पहले भी कड़ाई बरत चुकी है।
विकास सिंह ने बताया कि निरीक्षण की इजाजत नहीं देने वाले मेडिकल कॉलेज में खामियां इतनी ज्यादा हैं कि किसी को जेल भेजने की जरूरत है। इस पर पीठ ने कहा कि अगर ऐसा मामला है तो वे ऐसे कॉलेजों में अगले साल से प्रवेश पर प्रतिबंध लगा सकते हैं।
शीर्ष अदालत ने बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड को एमसीआइ की रिपोर्ट पर चार हफ्ते में जवाब दाखिल करना का निर्देश भी दिया।