सुप्रीम कोर्ट बोला, बंधुआ मजदूरों की रक्षा के लिए गाइडलाइन बनाने पर विचार करे एनएचआरसी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कोविड-19 संकट के दौरान बंधुआ मजदूरों के संरक्षण और पुनर्वास के लिए दिशा-निर्देश बनाने पर विचार कर सकता है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission, NHRC) विशेष रूप से कोविड-19 के मौजूदा संकट के दौरान बंधुआ मजदूरों के संरक्षण और पुनर्वास के लिए दिशा-निर्देश (गाइडलाइन) बनाने पर विचार कर सकता है। जस्टिस एल. नागेश्वर राव (Justices L Nageswara Rao) और जस्टिस कृष्ण मुरारी (Justices Krishna Murari) की पीठ वीडियो कांफ्रेंस के जरिये एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
इस याचिका में आरोप लगाया गया कि उत्तर प्रदेश और बिहार में संबंधित अधिकारी इन राज्यों में ईंट भट्ठों पर बंधुआ मजदूरी के शिकार हुए 187 लोगों को त्वरित सहायता पहुंचाने में नाकाम रहे हैं। याचिका का निपटारा करते हुए पीठ ने कहा कि एनएचआरसी इस मुद्दे पर आदेश जारी कर चुका है। याचिकाकर्ता को आगे निर्देश लेने के लिए आयोग का रुख करने को कहा गया।
पीठ ने कहा, 'एनएचआरसी बंधुआ मजदूरों के संरक्षण और पुनर्वास के लिए दिशा-निर्देश जारी करने पर विचार कर सकता है।' शीर्ष अदालत ने याचिका पर तीन जून को उत्तर प्रदेश और बिहार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। सामाजिक कार्यकर्ता जाहिद हुसैन ने इन राज्यों में विभिन्न ईंट भट्ठों पर रह रहे बंधुआ मजदूरों को तुरंत मुक्त कराने और पुनर्वास के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया था।
याचिका में कहा गया था कि बंधुआ मजदूरों में गर्भवती महिलाएं और बच्चे भी हैं। वकील सृष्टि अग्निहोत्री के जरिये दाखिल याचिका में कहा गया था कि इस साल 11 मई को एनएचआरसी ने इस मुद्दे पर मिली शिकायतों का संज्ञान लिया और उत्तर प्रदेश में संभल और बिहार में रोहतास के जिला प्रशासन को वहां जाकर मुआयना करने और 15 दिन के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। मंगलवार को सुनवाई के दौरान दोनों राज्यों की ओर से पेश वकीलों ने मामले में की गई कार्रवाई से पीठ को अवगत कराया।