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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कुछ करने के लिए दबाव बनाया जाए, तभी माना जाएगा उकसावा

हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली वेल्लादुरई की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था। शीर्ष अदालत ने कहा कि 25 साल से विवाहित आरोपित और उसकी पत्नी के बीच झगड़ा हुआ और दोनों ने कीटनाशक पी लिया।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 10:08 PM (IST)Updated: Tue, 14 Sep 2021 10:08 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कुछ करने के लिए दबाव बनाया जाए, तभी माना जाएगा उकसावा
मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को रद करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि उकसावा उस स्थिति में साबित होता है, जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे पर कुछ करने के लिए दबाव बनाता है और ऐसे हालात बन जाते हैं कि दूसरे व्यक्ति के पास आत्महत्या करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता।

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जस्टिस एमआर शाह और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने मद्रास हाई कोर्ट के एक फैसले को रद करते हुए यह टिप्पणी की। हाई कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत एक व्यक्ति को सुनाए गए तीन साल के सश्रम कारावास की सजा को बरकरार रखा था।

हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली वेल्लादुरई की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था। शीर्ष अदालत ने कहा कि 25 साल से विवाहित आरोपित और उसकी पत्नी के बीच झगड़ा हुआ और दोनों ने कीटनाशक पी लिया। घटना में पत्नी की मौत हो गई, जबकि पति को बचा लिया गया। दंपती के तीन बच्चे भी हैं।

पीठ ने कहा, किसी व्यक्ति द्वारा उकसावा वह कहलाता है जब एक व्यक्ति किसी दूसरे पर कोई काम करने के लिए दबाव बनाए। उकसावा तब कहा जाता जब आरोपित ने अपने कामकाज, तरीकों और गतिविधियों से ऐसी स्थिति पैदा कर दी होती, जहां महिला (मृतका) के पास आत्महत्या करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा होता।

शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मुकदमे में अपील करने वाले के खिलाफ आरोप है कि घटना के दिन झगड़ा हुआ था। इसके अलावा और कोई दस्तावेज या रिकार्ड नहीं है, जो उकसावे को साबित कर सके।

तबादले का स्थान तय नहीं कर सकता कर्मचारी: सुप्रीम कोर्ट

वहीं, पिछले दिनों दूसरे एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई कर्मचारी किसी स्थान विशेष पर तबादला करने के लिए जोर नहीं दे सकता है। नियोक्ता को अपनी जरूरतों के हिसाब से कर्मचारियों का तबादला करने का अधिकार है। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के अक्टूबर 2017 के एक आदेश को चुनौती देने वाली एक लेक्चरर की याचिका को खारिज करते हुए यह बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने अमरोहा से गौतमबुद्ध नगर ट्रांसफर किए जाने के लिए संबंधित प्राधिकार द्वारा उनके अनुरोध को खारिज किए जाने के खिलाफ अर्जी को रद कर दिया था।


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