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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कोरोना की तीसरी लहर के लिए तैयार रहने की जरूरत, बच्चों के लिए होगी बेहद खतरनाक

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि तीसरी लहर दस्तक देने वाली है। विशेषज्ञों के मुताबिक ये बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है। अगर बच्चा कोरोना अस्पताल जाएगा तो उसके साथ माता-पिता भी जाएंगे। इसीलिए इस वर्ग का भी टीकाकरण होने की जरूरत है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 10:48 PM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 10:55 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कोरोना की तीसरी लहर के लिए तैयार रहने की जरूरत, बच्चों के लिए होगी बेहद खतरनाक
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बच्चों के लिए वैक्सीनेशन पर भी होना चाहिए विचार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विशेषज्ञों की ओर से देश में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर जताई जा रही आशंका को देखते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश को तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयार रहने की जरूरत है। तीसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकती है इसलिए इस वर्ग के वैक्सीनेशन पर भी विचार होना चाहिए। इसके लिए वैज्ञानिक योजना की जरूरत है। केंद्र सरकार ने बताया कि कोर्ट के निर्देशानुसार दिल्ली को 730 मीट्रिक टन आक्सीजन की आपूर्ति की गई है, लेकिन दिल्ली को इतनी आक्सीजन की जरूरत नहीं है। केंद्र ने आक्सीजन आडिट की मांग की, लेकिन कोर्ट ने साफ किया कि फिलहाल दिल्ली को 700 मीट्रिक टन आक्सीजन की आपूर्ति जारी रहनी चाहिए। हालांकि कोर्ट ने पूरे देश के परिप्रेक्ष्य में आक्सीजन आपूर्ति और उपलब्धता पर विचार करने की बात भी कही। बहरहाल स्पष्ट संकेत हैं कि आक्सीजन आपूर्ति और जरूरत को लेकर नई चर्चा छिड़ेगी।

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गुरुवार को सुनवाई शुरू होते ही केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को यह भी बताया कि चार मई को 56 प्रमुख अस्पतालों में किए गए सर्वे में पता चला कि उनके पास आक्सीजन का पर्याप्त स्टाक है। यह भी ध्यान दिलाया कि आपूर्ति की गई 730 मीट्रिक टन आक्सीजन का अभी वितरण नहीं हुआ है। यानी आक्सीजन टैंकर अभी खाली नहीं हुए हैं। ऐसे में भविष्य की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। मेहता ने कहा कि दिल्ली को 700 मीट्रिक टन आक्सीजन जरूरत से ज्यादा है, उसे अतिरिक्त आक्सीजन देने से अन्य राज्यों में जहां संक्रमण फैल रहा है, आक्सीजन की आपूर्ति में कमी होगी। कोर्ट ने सुनवाई में मौजूद अधिकारी से आक्सीजन की आपूर्ति और स्टोरेज की क्षमता पूछी। जिस पर अधिकारी ने बताया कि 56 अस्पतालों में 478 मीट्रिक टन स्टोरेज क्षमता है। पीठ ने कहा कि वे उस स्टोरेज को जानना चाहते हैं जो अभी खाली है। मेहता ने कहा कि ये जारी रहने वाली प्रक्रिया है। 478 मीट्रिक टन न तो हमेशा पूरा भरा रहता है और न ही पूरा खाली। पीठ ने पूछा कि क्या आक्सीजन का बफर स्टाक है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने जब बेहद वरिष्ठ डाक्टर की जान आक्सीजन की कमी से जाने की बात कही तो केंद्र ने कहा कि या तो केंद्र की ओर से आक्सीजन आपूर्ति में कमी है या फिर राज्य की ओर से वितरण की कमी है। ऐसे में आक्सीजन का आडिट होना चाहिए।

आज से तैयारी करने से हम उससे अच्छे से निपट पाएंगे: सुप्रीम कोर्ट

केंद्र उन राज्यों के प्रति भी जवाबदेह है जिनकी 300 मीट्रिक टन आक्सीजन दिल्ली के लिए ली गई है। तब क्या होगा जब आडिट में पता चलेगा कि दिल्ली को इससे कम आक्सजीन की जरूरत है। इन दलीलों पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने केंद्र से कहा कि आपको अपने फार्मूले पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। पीठ ने कहा कि वह पूरे देश के लिहाज से इस मुद्दे पर और आक्सीजन आडिट पर विचार करेंगे। कोर्ट ने कहा कि आज देश महामारी की पहली स्टेज में नहीं है। हम हो सकता है कि तीसरी लहर का शिकार हों। उसके लिए आज से तैयारी करने से हम उससे अच्छे से निपट पाएंगे।

वकील राहुल मेहरा ने कहा, केंद्र द्वारा दिल्ली पर आरोप लगाना ठीक नहीं

दिल्ली सरकार की ओर से आक्सीजन आडिट का विरोध किया गया। वकील राहुल मेहरा ने कहा कि इसके जरिये दिल्ली को आक्सीजन की आपूर्ति घटाई जा सकती है। मेहरा ने कहा कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे कई राज्य हैं जिन्हें मांग से ज्यादा आवंटन किया गया है। अगर आडिट हो तो सबका हो। केंद्र द्वारा दिल्ली पर आरोप लगाना ठीक नहीं है। हालांकि मेहरा ने 730 मीट्रिक टन आक्सीजन आपूर्ति के लिए धन्यवाद जताया। मेहता ने राहुल मेहरा के अन्य राज्यों से तुलना का विरोध करते हुए कहा कि ये केस को राज्य बनाम राज्य बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ये ठीक नहीं है दिल्ली अपनी बात करे। पीठ ने लंबी सुनवाई के बाद कहा कि वह लिखित आदेश बाद में जारी करेंगे।

बच्चों को भी टीकाकरण की जरूरत: कोर्ट

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि तीसरी लहर दस्तक देने वाली है। विशेषज्ञों के मुताबिक ये बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है। अगर बच्चा कोरोना अस्पताल जाएगा तो उसके साथ माता-पिता भी जाएंगे। इसीलिए इस वर्ग का भी टीकाकरण होने की जरूरत है। इसके लिए वैज्ञानिक तरीके से योजना और व्यवस्था करनी होगी। जस्टिस शाह ने कहा कि वह सिर्फ सुझाव दे रहे हैं।

कोर्ट ने एमबीबीएस पास किए नीट का इंतजार कर रहे डाक्टरों और पढ़ाई पूरी कर चुकी नर्सों को काम पर लेने के बारे में पूछा और उन्हें कुछ इंसेंटिव देने की भी बात की जिस पर मेहता ने कहा कि इस बारे में पहले ही निर्देश जारी किए जा चुके हैं। केंद्र ने कहा कि दिल्ली में सिस्टेमेटिक फेलयर है।


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