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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सीए परीक्षाएं कराने को लचीला रुख अपनाए आइसीएआइ, जानें क्‍यों कहा ऐसा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में आइसीएआइ को अपनी सीए की परीक्षाएं कराने में छात्रों के प्रति लचीला रुख अपना चाहिए।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 08:20 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 08:20 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सीए परीक्षाएं कराने को लचीला रुख अपनाए आइसीएआइ, जानें क्‍यों कहा ऐसा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सीए परीक्षाएं कराने को लचीला रुख अपनाए आइसीएआइ, जानें क्‍यों कहा ऐसा

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया (आइसीएआइ) को अपनी चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) की परीक्षाएं कराने में उन छात्रों के प्रति लचीला रुख अपना चाहिए, जो इस महामारी के दौर में 29 जुलाई से 16 अगस्त तक होनेवाली परीक्षाओं में उपस्थित होने में असमर्थ हैं। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि अगर 'शामिल नहीं होने' का विकल्प नहीं चुनने वाला छात्र आपात परिस्थितियों की वजह से परीक्षा में शामिल नहीं सके तो उसे उन छात्रों के समान ही अवसर प्रदान करना चाहिए जिन्होंने 'शामिल नहीं होने' का विकल्प चुना था। 

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परीक्षा केंद्र में बदलाव का विकल्प पहले अं‍तिम सप्‍ताह पर उपलब्‍ध कराना चाहिए  

कोर्ट ने कहा कि आइसीएआइ को परीक्षाएं आयोजित करने के मामले में लचीला रुख अपनाना चाहिए, क्योंकि अभी स्थिति स्थिर नहीं है। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने सीए की परीक्षाओं के मई चक्र के अभ्यíथयों के साथ कथित भेदभाव को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह सुझाव दिया। पीठ ने कहा कि कोरोना महामारी के मद्देनजर आइसीएआइ को परीक्षा केंद्र में बदलाव का विकल्प प्रस्तावित परीक्षा कार्यक्रम से पहले अंतिम सप्ताह तक उपलब्ध कराना चाहिए।

परीक्षा में 'शामिल नहीं होने' के विकल्प को लेकर दायर की गई थी याचिका

पीठ ने कहा कि अगर किसी छात्र ने 'शामिल नहीं होने' का विकल्प नहीं चुना है और अचानक ही उसका परीक्षा केंद्र कंटेनमेंट क्षेत्र में आ गया तो आप क्या करेंगे? आपको ऐसे मामलों में छात्रों को 'शामिल नहीं होने' का विकल्प चुनने वाले छात्र के रूप में लेना चाहिए। आइसीएआइ के वकील ने पीठ से कहा कि वह इन अभ्यíथयों द्वारा उठाए गए मुदों के संदर्भ में अधिसूचना का मसौदा कोर्ट में पेश करेंगे। इस पर पीठ ने मामले को दो जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। साथ ही आइसीएआइ से कहा कि उसे सीबीएसई जैसे विभिन्न बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षाओं के बारे में गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखना चाहिए। 

आइसीएआइ पर मनमाने तरीके से परीक्षा के बारे में 15 जून को घोषणा का आरोप   

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आलोक श्रीवास्तव ने कहा कि प्रत्येक जिले में एक परीक्षा केंद्र होना चाहिए। पीठ ने अधिवक्ता से कहा कि आइसीएआइ ने ऐसा करने में असमर्थता व्यक्त की है। इस मामले में आरोप लगाया गया है कि आइसीएआइ ने मनमाने तरीके से 15 जून को एक महत्वपूर्ण घोषणा करके मई चक्र की सीए की परीक्षा में 'शामिल नहीं होने' का विकल्प प्रदान करके अभ्यíथयों के साथ भेदभाव किया है।


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