सुप्रीम कोर्ट में काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर निर्माण के खिलाफ याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी में निर्माणाधीन काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी में निर्माणाधीन काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस विनीत नारायण की पीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि यह सुनवाई के लायक ही नहीं है।
सर्वोच्च अदालत ने कॉरिडोर को लेकर जताई आशंकाओं को भी निराधार बताया। पीठ ने कहा कि उस क्षेत्र में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था रहती है। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह एक विकास योजना है, जिसमें सभी के हित निहितार्थ हैं।
गौरतलब है कि काशी विश्वनाथ मंदिर से गंगा घाट तक कॉरिडोर का निर्माण कराया जा रहा है। इसी योजना के तहत मंदिर परिक्षेत्र में भी कुछ निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। कॉरिडोर के निर्माण से श्रद्धालुओं के लिए गंगा घाट से बाबा विश्वनाथ मंदिर तक पहुंचना बहुत आसान हो जाएगा। अभी श्रद्धालुओं को गंगा में डुबकी लगाने के बाद संकरी और व्यस्त गलियों से बाबा के दरबार तक जाना पड़ता है।
कॉरिडोर निर्माण के खिलाफ जितेंद्र नाथ व्यास और अंजुमन इंतजामिया मस्जिद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। व्यास विश्वनाथ मंदिर से जुड़े हैं तो अंजुमन इंतजामिया मस्जिद ज्ञानवापी मस्जिद से। इन दोनों का कहना था कि मंदिर परिक्षेत्र में निर्माण से पहले उनकी इजाजत नहीं ली गई।
याचिकाकर्ताओं का यह भी आरोप था कि कॉरिडोर निर्माण के नाम पर केंद्र सरकार के निर्देश पर पिछले कुछ महीनों से जिला प्रशासन उस क्षेत्र में ध्वस्तीकरण का काम कर रहा है। प्रशासन ने संरक्षित धरोहर मंदिर के कुछ हिस्से और व्यास पीठ को भी ढहा दिया है। ज्ञानवापी परिसर की प्राचीन दीवार भी गिरा दी गई है। याचिका में ढहाई गई व्यास पीठ और ज्ञानवापी परिसर की चाहरदिवारी को दोबारा बनवाने की मांग भी की गई थी।
सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कहा गया कि व्यास पीठ या ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी।